वाराणसी – चर्चित बाहुबली लल्लू सिंह के एनकाउंटर में शामिल रहे पूर्व डिप्टी एसपी राम अधार यादव का निधन

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उत्तर प्रदेश के चर्चित बाहुबली लल्लू सिंह के एनकांटर में शामिल रहे पूर्व डिप्टी एसपी राम अधार यादव का सोमवार की रात लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. अपने जमाने में पुलिस महकमे में उनकी तूती बोलती थी. लल्लू सिंह के एनकाउंटर के बाद दारोगा से राम अधार यादव को आउट आफ टर्न प्रमोशन देकर इंस्पेक्टर बनाया गया था. वह वाराणसी में कैंट थाना प्रभारी, आईजी के पेशकार समेत विभिन्न पदों पर तैनात रहे. उनके निधन से परिवार जहां मर्माहत है वहीं पुलिस वालों में भी शोक की लहर दौड़ गई है.

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आखिर कौन रहे लल्लू सिंह

ऐसा बाहुबली, जिसकी पेशी के लिए पुलिस को हेलीकॉप्टर लाना पड़ा था. वाराणसी में तांगों की दौड़ हो या होली-दीवाली के बड़े बड़े आयोजन, कौन मुख्य अतिथि होगा, शोभा यात्राएं कहां से कहां तक निकलेंगी और क्या क्या कार्यक्रम होंगे, ये सब लल्लू सिंह तय करता और प्रशासन को बता दिया करता. सबकुछ वैसा ही होता, जैसा लल्लू सिंह कहता या चाहता. लोग उसे पूर्वांचल में बाहुबलियों का पितामह कहते थे.

वाराणसी में मृत्युंजय महादेव का प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये भगवान शंकर के त्रिशूल के बीच वाले हिस्से पर बसा हुआ है. ये मंदिर वाराणसी के मध्यमेश्वर दारानगर में है. शिवजी के त्रिशूल के मध्य वाले हिस्से पर बसे होने की मान्यता की वजह से इस जगह का नाम मध्यमेश्वर दारानगर है. इसी दारानगर में लल्लू सिंह का पुश्तैनी मकान है. स्थानीय लोग बताते हैं कि स्थानीय पुलिस-प्रशासन लल्लू सिंह की दबंगई और स्थानीय समर्थन की वजह से उससे पूछने के बाद ही शहर में किसी भी बड़े आयोजन की रूपरेखा तय करता था. पूर्वांचल के कई दबंग उस दौर में लल्लू सिंह के समर्थन में थे. स्थानीय लोगों के मुताबिक किसी की ज़मीन पर अवैध कब्ज़े को खाली करवाना हो या किसी ने किसी के रुपये दबा रखे हों, तो वो लल्लू सिंह की मदद लेता था.

महीनों की तैयारी के बाद पुलिस को कामयाबी मिली

कहते हैं कि लल्लू सिंह के घर में एक सुरंग थी. वो उसके घर से क़रीब 15-20 घर बाद एक गली में निकलती थी. पुलिसवालों को ये राज़ मालूम हो गया. इसके बाद एक दिन भारी पुलिस फोर्स के साथ घर पर छापा मारा गया. गिरफ़्तारी से बचने के लिए लल्लू सिंह ने सुरंग के रास्ते भागने की प्लानिंग की. योजना के मुताबिक जैसे ही सुरंग के रास्ते गली में निकलने लगे, तो वहां पहले से ही राम अधार यादव समेत बाक़ी पुलिसवाले खड़े थे. ये 1978 की बात है. पुलिस वाराणसी और मुगलसराय को जोड़ने वाले गंगापुल पर लल्लू सिंह को ले गई. वहां मुठभेड़ के दौरान एनकाउंटर में पुलिस ने मार गिराया था.

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