वाराणसी: किसानों ने सीखे बैगन की उन्नत प्रजातियों की खेती के गुर

भरतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में 50 किसानों को दिया गया प्रशिक्षण

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वाराणसी के शाहंशाहपुर स्थित भरतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR) किसानों को प्रशिक्षित करने के साथ ही उन्हें सब्जी फसलों की उच्चगुणवत्ता की पौध उपलब्ध करा रहा है. इसके लिए प्रयागराज के सहगल फ़ाउंडेशन के सहयोग से ‘सब्जी फसलों की खेती, प्रसंस्करण एवं विपणन. नामक दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ. इसमें 50 कृषकों ने हिस्सा लिया और सब्जी की खेती के गुर सीखे.

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इस मौके पर संस्थान के निदेशक ने किसानों को बताया कि संस्थान द्वारा सब्जियों की हाइब्रिड एवं सामान्य किस्मों की उच्चगुणवत्ता पौधों को उपलब्ध कराने के प्रयास सफल हो रहे हैं. हाईटेक नर्सरी से तैयार सब्जी फसलों की पौध क्षेत्र के किसानों तक पहुंच रही है.

किफायती दरों पर उपलब्ध कराये जा रहे पौधे

संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शैलेश कुमार तिवारी ने बताया कि बैगन की उन्नत एवं संकर प्रजातियों के तैयार पौधे किफायती दरों पर किसानों और लोगों को गृह वाटिका में उपयोग के लिए उपलब्ध कराई जा रही है. इनमें सफेद, हरे, हल्के बैगनी और गाढ़े बैगनी रंगों के गोल और लंबे फल वाले पौधे उपलब्ध हैं. इन उन्नत प्रजातियों में काशी उत्तम (गोल बैगनी फल), काशी विजय (मझोले लंबे और हल्के बैगनी फल), काशी बृंजल ग्रीन राउण्ड (गोल हल्के हरे फल), काशी हिमानी (मझोले लंबे सफ़ेद फल) हैं. संकर प्रजातियों में काशी सन्देश (गाढ़े बैगनी गोल फल), काशी मनोहर (मझोले लंबे हल्के बैगनी फल), काशी उत्सव (गाढ़े बैगनी लंबे फल), काशी नंदक आदि पौधे किसान संस्थान से प्राप्त कर सकते हैं. इससे किसानों को अच्छा व्यावसायिक लाभ मिलेगा.

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किसानों की आय बढ़ाने, उन्नत खेती की दिशा में प्रयास

सब्जियों की खेती में प्रसंस्करण, उद्यमिता एवं विपणन के महत्व को देखते हुए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ( आईआईवीआर) किसानों की आय बढ़ाने और उन्नत खेती की दिशा में प्रयास कर रहा है. संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ नागेंद्र राय ने सब्जियों की खेती में महत्वपूर्ण मुद्दों के साथ ही किसानों को पोषण एवं आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के तरीकों के प्रति जागरूक किया. प्रशिक्षण के दौरान जैविक खेती, उद्यमिता विकास, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन, समन्वित रोग-कीट प्रबंधन एवं सब्जी निर्यात जैसे विषयों के साथ ही प्रायोगिक तकनीकियों पर वैज्ञानिकों द्वारा व्यापक चर्चा की गयी. हाइटेक नर्सरी, तकनीकी पार्क, मशरूम प्रयोगशाला, मधुमक्खी पालन इकाई, सब्जी प्रसंस्करण प्रयोगशाला एवं जैविक नियंत्रक प्रयोगशाला का भ्रमण भी कराया गया. प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ. आत्मा नन्द त्रिपाठी, डॉ. नीरज सिंह, डॉ. इंदीवर प्रसाद, डॉ. जगेश तिवारी, डॉ. हिरन्मोय दास और ईरी के वैज्ञानिक डॉ. अजय मिश्रा ने सहयोग किया.

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