वाराणसी: विकास प्राधिकरण ने जीता 26 साल के बाद जमीन संबंधी मुकदमा, अधिकारियों को मिलेगी आवासीय सुविधा
जमीन के लिए चल रहे मुकदमे का फैसला वाराणसी विकास प्राधिकरण के पक्ष में आया...
वाराणसी में मकबूल आलम रोड स्थित डीआइजी कालोनी में 3515 वर्गफीट जमीन के लिए चल रहे मुकदमे का फैसला वाराणसी विकास प्राधिकरण के पक्ष में आया है. यह मुकदमा वीडीए ने 26 साल के बाद जीत लिया है. फैसला पक्ष में आने पर विकास प्राधिकरण ने जमीन पर कब्जा ले लिया. जिसपर विभागीय अफसरों का आवास बनाने का निर्णय लिया गया है. इस जमीन की कीमत 20 करोड़ रुपये से अधिक है.
वीडीए 3515 वर्गफीट की इस जमीन पर तीन और चार कमरे का फ्लैट बनाएगा. इसके लिए आर्किटेक्ट ने डिजाइन तैयार कर ली है. वहीं किस मद से आवास बनाया जाए, इसे लेकर विमर्श चल रहा है. इसी के साथ ही बीडीए के अध्यक्ष एवं मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा ने जमीन पर आवास बनाने के लिए हरी झंडी भी दे दी है.
वीडीए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने दी जानकारी
इस दौरान वीडीए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने बताया कि डीआइजी कालोनी स्थित प्लाट नंबर-डी-58 3515 वर्गफीट क्षेत्रफल में है. नगरपालिका ने खजुरी विकास योजना के तहत प्लाट आवंटित किया था. जहां यह प्लाट 30 साल के लिए पट्टे पर आवंटित किया गया था.
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60 साल के लिए नवीकरण किया गया
दो बार 30-30 साल के लिए नवीकरण भी किया गया. 18 दिसंबर 1964 को जमीन आवंटित किया गया था. 30 अप्रैल 1965 को भवन निर्माण के लिए आवंटी ने मानचित्र भी स्वीकृत कराया. 17 सितंबर-1988 में आवंटी ने दूसरे को प्लाट पावर आफ अटार्नी कर दिया. जहां 24 नवंबर 1993 को प्लाट नवीकरण के लिए आवेदन किया लेकिन विकास प्राधिकरण ने कोई आदेश पारित नहीं किया.
जमीन पर विभागीय अधिकारियों का बनेगा आवास
वहीं नयी शर्तों को पूरा करने के लिए वीडीए ने 13 अप्रैल 1994 को आवंटी को कारण बताओ नोटिस जारी किया. 16 मई 1994 को नोटिस के जवाब पर कोई कार्रवाई न होने पर आवंटी कोर्ट चला गया.
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हाईकोर्ट के साथ सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा लेकिन आवंटी को कहीं से कोई राहत नहीं मिली. साल 2010 में एटार्नी होल्डर ने उक्त प्लाट अवैधानिक रूप से अपनी पत्नी को विक्रय कर दिया. इसके खिलाफ बीडीए भी कोर्ट गया था. इसके बाद अब जमीन पर विभागीय अधिकारियों के लिए आवास बनाया जाएगा.