बनारस : रंग-अबीर-गुलाल से ही नहीं चिता भस्म से भी होती है होली
बनारस दुनिया का एकमात्र शहर है, जहां अबीर-गुलाल-रंग के अलावा चिता की भस्म से भी होली खेली जाती है
आशीष बागची
बनारस ही होली अपने आप में बेहद अनोखी होती है। इसमें सभी रंग होते हैं। यों तो आमतौर पर भारत के अन्य स्थानों पर रंग या अबीर-गुलाल से होली होती है पर बनारस में इन सबके अलावा होली के और भी अनेक रंग होते हैं।
इसमें भोले शंकर का गौना, गुलाल की फुहार के बीच विदा मां पार्वती की विदाई, रंगों से सराबोर बारातियों और श्मशान में चिता भस्म की होली भी शामिल है। दरअसल इन्हीं के साथ शुरू होती है बनारस की होली।
महाश्मशान में चिताओं की भस्म से खेली जाती है होली
बनारस दुनिया का एकमात्र शहर है, जहां अबीर-गुलाल-रंग के अलावा चिता की भस्म से भी होली खेली जाती है। चौंकिए मत! ये सोलह आने सच है। दुनिया में ऐसे बहुत से शहर हैं, जहां इंसान जीने की ललक से जाता है। लेकिन बनारस में हर बरस न जाने कितने लोग मरने की चाहत में आते हैं। आखिर क्या है ऐसा इस शहर में? इसका जवाब यहां आकर ही समझा जा सकता है। इसके लिए तो आपको बनारस जाना ही होता है।
रंगभरी एकादशी से ही होली का खुमार सिर चढ़कर बोलने लगता है-
बनारस में रंगभरी एकादशी के दिन से ही होली का खुमार सिर चढ़ के बोलने लगता है। रंगभरी एकादशी को बनारस के लोग बाबा विश्वनाथ और गौरा के साथ होली खेलते हैं। उसके दूसरे दिन शमशान घाट पर बाबा के साथ चिता भस्म की होली होती है और फिर बनारस के घाटों पर भांग अबीर गुलाल के साथ तबले और ढोलक की थाप पर सुरों की होली शुरू हो जाती है, जो होली के दिन अपने पूरे चरम पर होती है।
साथ ही होली के गीतों की तो बात ही अलग है। आपको भोजपुरी से लेकर हिंदी के तमाम गीत होली को लेकर सुनने को मिल जायेंगे।
राजनेता से लेकर अभिनेताओं तक पर निशाना-
बनारस की अनोखी होली यहीं खत्म नहीं होती। यहां जो गीत होते हैं उनमें राजनेता से लेकर अभिनेताओं तक पर निशाना साधा जाता है। यहीं नहीं होली के गीतों में इतना रस होता है कि विदेशी मेहमान भी इसका मजा उठाने से नहीं चूकते हैं। कलाकारों का उद्देश्य किसी का दिल दुखाना या इमेज खराब नहीं करना नहीं होता है इसलिए वह बार-बार यह भी गाते हैं कि बुरा न मानो होली है।
होली का असली आनंद गंगा घाट पर-
बनारसी होली का असली आनंद गंगा घाट के ही किनारे दिखायी देता है जहां पर देशी व विदेशी पर्यटक जमकर होली खेलते हैं और फिर गंगा स्नान करके तरोताजा हो जाते हैं। विदेशियों में तो होली के पहले से ही खुमारी चढऩे लगती है जो होली के बाद तक जारी रहती है।
पीएम नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने चलते देश व दुनिया के लोगों की निगाहें इस शहर पर रहती है, ऐसे में बनारसियों की इच्छा रहती है कि कभी पीएम मोदी भी अपने संसदीय क्षेत्र में होली खेल कर काशी के लिए इस दिन को यादगार बना दें।
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