काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय मल्टी सुपर स्पेशलिटी और ट्रॉमा सेंटर में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, मरीजों की दुश्वारियां भी बढ़ती जा रही हैं. हड़ताल के आठवें दिन मंगलवार को ओपीडी तो खुली, लेकिन आधे से अधिक विभागों में कंसल्टेंट नहीं पहुंचे. इसके चलते ओपीडी का ग्राफ भी घटकर नीचे आ गया. मरीज तीमारदार को लेकर सीनियर डाक्टर का इंतजार कर रहे हैं. दूसरी ओर दिन प्रतिदिन सर सुंदरलाल चिकित्सालय पहुंचने वाले मरीज और तीमारदारो की दुश्वारियां बढ़ती जा रही है. कुछ मरीज ऐसे भी हैं जिनका आज आपरेशन होना था लेकिन डाक्टर का कोई पता नहीं हैं.
टास्क फोर्स बनने के बाद भी नहीं खत्म हो रही हड़ताल
दूरदराज से आए मरीजों व उनके तीमारदारों का कहना है कि हम इतने दूर से वाराणसी पहुंचे हैं बीमारी का इलाज कराने लेकिन डाक्टरों की हड़ताल के चलते काफी दिक्कत हो रही है. सही से जानकारी भी नहीं मिल पा रही है कि उनके मरीज को डाक्टर कब देखेंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से टास्क फोर्स बनाने के बाद भी बीएचयू के रेजिडेंट डॉक्टरों का हड़ताल खत्म नहीं हो रहा है.
डाक्टरों की स्थानीय मुद्दों पर ठोस कार्रवाई की है मांग
हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि हमारे कुछ स्थानीय मुद्दे भी है जिस पर कुलपति सुधीर जैन से को हम लोगों से मिलना चाहिए और ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.
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दूसरी ओर अभी तक उनलोगों से बातचीत करने कोई भी सक्षम अधिकारी नहीं पहुंचा है जिस कारण उनकी हड़ताल लगातार जारी है. रेजिडेंट डॉक्टरों ने बताया कि यह हड़ताल लगातार जारी रहेगी जब तक कि उनकी बातें नहीं मान ली जाती.
नहीं मिले कुलपति या सक्षम अधिकारी
उन्होंने यह भी बताया कि हम लोग लगातार हजारों की संख्या में रेजीडेंट डॉक्टर इकट्ठा होकर लगातार कैंडल मार्च निकाल रहे हैं परंतु कुलपति तथा सक्षम अधिकारी अभी भी हम लोगों से मिलने नहीं आए. जबकि हम लोग कुलपति आवास तक भी अपना विरोध दर्ज कर चुके हैं.
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वहीं अगर बात करें मरीजों की तो पूर्वांचल का एम्स कहे जाने वाले सर सुंदरलाल चिकित्सालय में आज कुछ ही मरीज डॉक्टर को दिखा पाए बाकी हजारों की संख्या में मरीज और तीमारदार बैंरग लौट गए. मरीज और तीमारदार डॉक्टर को दिखाने के लिए परेशान नजर आए.
मनमाना रूख अपनाएं हैं डाक्टरः मरीज
इस दौरान कुछ मरीजों ने बातचीत के दौरान बताया कि जब कोर्ट का आदेश आ गया है तो रेजिडेंट डॉक्टरों को ऐसा नहीं करना चाहिए. यह लोग मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं तथा अपना मनमाना रुख अपनाए हुए हैं. नाम न छापने की शर्त पर एक तीमारदार ने बातचीत के दौरान कहा कि ऐसे डॉक्टरों पर कठोर कार्रवाई करना चाहिए जिनके कारण मरीजों की जान जा रही है.