कोरोना काल में धमाल मचा रहा है विजय का काढ़ा, दुकान के बाहर लग रही है लंबी लाइन

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कोरोना काल में कुछ लोग बिखर गए तो कुछ लोग निखर गए। वाराणसी के विजय ऐसे ही लोगों में शुमार हैं। लॉकडाउन की बंदिशों के चलते जब विजय की चाय की दुकान बंद हुई तो उन्होंने हार नहीं मानी।

आज उनका आयुर्वेदिक काढ़ा बनारस में धमाल मचा रहा है। आलम ये है कि विजय की दुकान के बाहर काढ़ा पीने के लिए सुबह-शाम लाइन लगी रहती है।

कोरोना काल में बदल गई विजय की पहचान-

दरअसल, चाय की दुकान बंद होने के बाद वाराणसी के जंगमबाड़ी मठ के पास चाय वाले ने काढ़ा बेचना शुरू कर दिया। वाराणसी के इस चाय वाले की दुकान पर काढ़ा पीने के लिए लोगों का हुजूम जुटा रहता है। यही नहीं इस आपदा में इसकी पहचान विजय चाय वाले से बदलकर विजय काढ़ा वाला हो गई है।

कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए देश के बड़े डॉक्टर और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में काढ़ा पीने का जिक्र किया था। प्रधानमंत्री द्वारा बोली गई उनकी बातों से प्रेरणा लेकर वाराणसी के विजय कुमार ने आयुर्वेदिक काढ़ा बनाया और उसे तीन महीने तक लगातार हॉटस्पॉट जोन, बफर जोन और शहर के लगभग सभी थानों में निःशुल्क पिलाना शुरू कर दिया था।

पुलिस की मदद से खोली काढ़े की दुकान-

विजय बताते हैं, कि लॉकडाउन के पहले उनकी चाय की दुकान थी, जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गई। इसके बाद विजय ने लोगों की मदद करने की ठानी और लॉकडाउन में आयुर्वेदिक काढ़ा पिलाना शुरू किया। विजय ने पहले दशाश्वमेध थाने के एसएचओ के सहयोग से कोविड-19 के हॉटस्पॉट इलाकों में जाकर लोगों तक इस आयुर्वेदिक काढ़े को पहुंचाया।

फिर शहर के बफर जोन सहित लगभग सभी थानों में काढ़े का निःशुल्क वितरण शरू किया। लॉकडाउन में निःशुल्क काढ़ा पिलाने के बाद विजय ने तीन महीने के बाद अनलॉक में वाराणसी के जंगमबाड़ी क्षेत्र में आयुर्वेदिक काढ़े की दुकान खोली है। यह काढ़ा इस महामारी में मरहम का काम कर रहा है।

जानिए काढ़े का रेट कार्ड-

विजय ने अपनी दुकान पर 10 रुपये का रेट बोर्ड लगा रखा है। काढ़ा लेने और पीने आए ग्राहकों के पास पैसा नहीं होने पर वह यह काढ़ा लोगों को निःशुल्क भी पिलाते हैं। ज्यादातर लोग अपनी खुशी से पैसे दे देते हैं। विजय समाज सेवा के साथ अपने परिवार का आजीविका भी चला रहे हैं।

काढ़ा वॉरियर विजय बताते हैं कि लोगों की सेवा करके वह बहुत संतुष्ट हैं, और मौका मिला तो सिर्फ बनारस और यूपी ही नहीं बल्कि पूरे इंडिया को अपना बनारसी काढ़ा पिलाएंगे। काढ़ा पीने आएं संतोष चक्रवर्ती बताते हैं कि कोरोना काल में उन्होंने चाय के जगह काढ़ा पीना शुरू कर दिया है। वह और लोगों से भी कहते हैं कि सभी लोग चाय की जगह काढ़ा पिएं।

इतने तरह का मिलता है काढ़ा-

विजय ने अपने आयुर्वेदिक काढ़े में 16 मसालों को शामिल किया है, जिसमें तुलसी, अश्वगंधा, मुलेठी, गिलोय, दालचीनी, लौंग, काली मिर्च, छोटी इलाइची, सौंठ पाउडर, काला मुनक्का, तेज पत्ता, अजवाइन, पीपर, गुड़ और अर्जुन का छाल है। विजय इस काढ़े को अच्छे से पकाते हैं, ताकि सभी आयुर्वेदिक मसालों के मिश्रणों का अर्ग पूरी तरह से काढ़े में मिल जाए।

आपदा को अवसर में बदलने वाले विजय की तरह देश के युवा भी कोरोना जैसे वैश्विक महामारी के दौर में एक अवसर की तलाश में है। ऐसे में विजय चाय वाले से देश मे बेरोजगारी की चपेट में आने वाले मजदूर भी कुछ सिख सकते है।

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