वाराणसीः विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत आवास पर हर ने धरा हरि का स्वरूप, नवनीत संग सिद्धि का लगा भोग
जटाजूट पर सजाई गई चंद्रमा के साथ मोरपंखी
वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के गोलोकवासी होने के बाद महंत आवास पर सोमवार को श्रीकृष्णजन्माष्टमी का पर्व सादगी से मनाया गया. इस अवसर पर परंपरागत रूप से होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थगित रहे, लेकिन हर का हरि स्वरूप में श्रृंगार करने की परंपरा का निर्वाह किया गया. प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में महादेव का षोडशोपचार पुजन के बाद हर का हरि के रूप में श्रृंगार किया गया. उनकी जटाजूट पर चंद्रमा के साथ ही मोरपंखी सजाई गई. हाथ में डमरू युक्त त्रिशूल के स्थान पर बांसुरी नजर आई.
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गाये गये जन्म पर मंगल गीत
महादेव का श्रीकृष्ण स्वरूप में श्रृंगार करने के उपरांत उन्हें प्राचीन झूले पर विराजमान कराया गया. टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर सायंकाल पांच वैदिक ब्राह्मणों द्वारा विविध अनुष्ठान पूर्ण किए गए. भगवान के जन्म पर मंगल गीत गाने की परंपरा का निर्वाह करने के लिए सगुन के तौर पर परिवार की महिलाओं ने पांच मंगल गीत गाए. इसके बाद पं. वाचस्पति तिवारी ने झूले पर विराजमान महादेव की आरती उतारी.
श्रीविश्वनाथ मंदिर के स्थापना काल से चली आ रही परम्परा
महंत आवास पर श्रीकृष्णजन्माष्टमी पर बाबा की चल प्रतिमा के हरि रूप में श्रृंगार करने की परंपरा श्रीविश्वनाथ मंदिर के स्थापना काल से ही चली आ रही है. महंत परिवार के पं. वाचस्पति तिवारी ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर प्रबंधन द्वारा भले ही लोक परंपरा का हनन करने की कुचेष्टा की जा रही हो, लेकिन काशीवासियों का महंत आवास की परंपराओं से लगाव पूर्ववत बना हुआ है. उसी का परिणाम है कि सोमवार की शाम हर के हरि स्वरूप के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में काशीवासी पहुंचे. यह इस बात का प्रमाण है कि शासन-प्रशासन चाहे कोई भी कुचक्र रच ले, लेकिन काशी की लोक परंपराएं पूर्ववत जारी रहेंगी.
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मणि मंदिर में जन्माष्टमी पर बजी शहनाई, बंटा 51 कुंतल हलवा
उधर, वाराणसी के ही दुर्गाकुण्ड स्थित मणि मंदिर (धर्मसंघ) में जन्माष्टमी के पावन अवसर पर सोमवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूम रही. इस दौरान विविध आयोजनों से सम्पूर्ण परिसर दिन भर चहकता रहा. जन्मोत्सव पर मणि मंदिर में प्रातःकाल से ही पूजन अर्चन प्रारंभ रहा. सर्वप्रथम ठाकुर जी का विशिष्ट श्रृंगार किया गया. इसके बाद विशाल नर्मदेश्वर शिवलिंग का भी महाकाल श्रृंगार किया गया. इस अवसर पर सम्पूर्ण धर्मसंघ परिसर में फूल मालाओं एवं विद्युत झालरों से भव्य सजावट की गई थी.
गूंजे सोहर और बधाई गीत
मध्यरात्रि धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चौतन्य ब्रह्मचारी के सानिध्य में प्रभु श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया. ठाकुर जी को पंचामृत स्नान करा कर उनका प्राकट्य कराया गया. इस मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रभु की छवि का दर्शन कर स्वयं को कृतार्थ किया. जन्माष्टमी के अवसर पर 51 कुंतल हलवे का भोग लगाया गया जिसे श्रद्धालुओं में वितरित किया गया. सायं 4 बजे से ही मंदिर मे शहनाई की मंगल ध्वनि गूंजने लगी. उसके बाद स्थानीय कलाकारों द्वारा सोहर एवं बधाई गीतों की प्रस्तुति दी गयी. इसके साथ ही स्थानीय जूही नृत्य कला केंद्र द्वारा श्रीकृष्ण जन्म पर आधारित नृत्य नाटिका भी प्रस्तुत की गई. कार्यक्रमो का संयोजन पण्डित जगजीतन पाण्डेय, श्रृंगार राजीव लोचन ने और कलाकारो का स्वागत राजमंगल पाण्डेय ने किया.