बस कुछ ही कदम दूर है कोरोना वैक्सीन, क्या सिंगल डोज से होगा इसका खात्मा?
अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, चीन, भारत सभी जगह रात-दिन अनुसंधान
दुनिया के अनेक देशों में कोरोना की वैक्सीन Vaccine पर काम चल रहा है। अनेक देश तो तेजी से ट्रायल के स्टेज पर भी पहुंच गये हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, चीन, भारत सभी जगह रात—दिन अनुसंधान कार्य चल रहे हैं। इससे लगता है कि कोरोना से उपजे महानिराशा का दौर जल्द खत्म होने वाला है।
आईये जानते हैं दुनिया में कहां और क्या चल रहा है इस वैक्सीन Vaccine को जल्द से जल्द मुहैया कराने के लिए—
ब्रिटेन में सबसे बस बड़ा ट्रायल
दुनियाभर में अब तक 26 लाख से ज्यादा लोग किलर कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं और 1.84 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। चीन के वुहान शहर से शुरू हुई यह महामारी अब दुनिया के 195 देशों में फैल चुकी है। इस महामारी से निपटने के लिए अब ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन Vaccine का सबसे बड़ा ट्रायल शुरू हो गया है।
पूरे विश्व की नजरें टिकीं
ब्रिटेन में बेहद अप्रत्याशित तेजी के साथ शुरू होने जा रहे इस परीक्षण पर पूरे विश्व की नजरें टिकी हुई हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन ‘ChAdOx1 nCoV-19’ से आने वाले कुछ सप्ताह में चमत्कार हो सकता है।
5 हजार मरीजों पर परीक्षण
ब्रिटेन में 165 अस्पतालों में करीब 5 हजार मरीजों का एक महीने तक और इसी तरह से यूरोप और अमेरिका में सैकड़ों लोगों पर इस Vaccine का परीक्षण होगा। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विभाग के प्रोफेसर पीटर हॉर्बी कहते हैं, ‘यह दुनिया का सबसे बड़ा ट्रायल है।’ प्रोफेसर हॉर्बी पहले इबोला की दवा के ट्रायल का नेतृत्व कर चुके हैं।
ऑक्सफर्ड और इंपीरियल कॉलेज आगे
उधर, ब्रिटेन के हेल्थ मिनिस्टर मैट हैनकॉक ने कहा है कि दो वैक्सीन इस वक्त सबसे आगे हैं। उन्होंने कहा कि एक ऑक्सफर्ड और दूसरी इंपीरियल कॉलेज में तैयार की जा रही हैं। हैनकॉक ने बताया, ‘मैं कह सकता हूं कि गुरुवार को ऑक्सफर्ड प्रॉजेक्ट की Vaccine का लोगों पर ट्रायल किया जाएगा। आमतौर पर यहां तक पहुंचने में सालों लग जाते हैं और अब तक जो काम किया गया है उस पर मुझे गर्व है।’
प्रफेसर हॉर्बी कहते हैं कि हमें अनुमान है कि जून में किसी समय कुछ परिणाम आ सकते हैं। यदि यह स्पष्ट होता है कि वैक्सीन से लाभ है तो उसका जवाब जल्दी मिल सकता है।’
पूरी दुनिया अब तक नाउम्मीद
पूरी दुनिया अब तक नाउम्मीद हो रही है कि कोरोना का खात्मा कब होगा और कैसे बेहिसाब मौत का आंकड़ा रुकेगा।
ऑक्सफोर्ड वैज्ञानिकों के कहने का मतलब है कि सुपर वैक्सीन करीब-करीब तैयार हो गई है।
Vaccine की परीक्षण का सबसे अहम पड़ाव होता है इंसानों पर प्रयोग। इसी के बाद किसी बीमारी के इंजेक्शन की कामयाबी तय हो पाती है। कोरोना से लड़ने के लिए तैयार वैक्सीन को नाम दिया गया है- चाडॉक्स वन।
510 वॉलंटियर्स पर ट्रायल
जानकारी के मुताबिक, पहले फेज में वैक्सीन का ट्रायल 510 वॉलंटियर्स पर किया जा रहा है। दूसरे फेज में सीनियर सिटिजन्स पर इसका इस्तेमाल होगा। तीसरे चरण में 5000 वॉलंटियर पर इसका असर देखा जाएगा। और इसमें कामयाबी मिली तो सितंबर तक 10 लाख वैक्सीन इस्तेमाल में लाई जाएगी।
अन्जान वायरस पर काम करने से मिली सफलता
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सराह गिलबर्ट ने बताया, मेरी टीम अनजान बीमारियों पर काम कर रही थी। हमने इसका नाम दिया था डिज़ीज़ एक्स.. ताकि अगर भविष्य में कोई महामारी फैले तो हम इसका मुकाबला कर सकें। हमें अंदाजा नहीं था कि इसकी जरूरत इतनी जल्दी पड़ जाएगी। इस तकनीक को अलग अलग बीमारियों पर आजमाया जा चुका है। हम दूसरी बीमारियों पर 12 क्लिनिकल ट्रायल कर चुके हैं। हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। इसकी सिंगल डोज से इम्यूनिटी बेहतर हो सकती है।
बस एक कदम दूर
अब तक माना जाता रहा है कि कोरोना वायरस का इंजेक्शन बनाने में 12 से 18 महीने लग सकते हैं। इसकी खोज करने वाले वैज्ञानिकों को भरोसा इतना है कि ट्रायल के साथ-साथ दुनिया में 7 सेंटर पर वैक्सीन का प्रोडक्शन भी शुरू हो चुका है। भारत भी उनमें से एक सेंटर है। ऐसे में ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों को कामयाबी मिली तो ये पूरे मानव जगत के लिए अनमोल वरदान साबित होगी।
चीन: कोरोना वैक्सीन का काम सेना के पास
चीन ऐसा पहला देश है जहां कोरोना वैक्सीन का ट्रायल दूसरे चरण में है। हैरत की बात ये है कि वहां वैक्सीन प्रोजेक्ट का काम चीन की सेना के हाथ में है।
दरअसल, चीनी फार्मा कंपनी Cansino Bio ने इस वैक्सीन के बारे में पिछले 17 मार्च को एक शैक्षणिक संस्थान के साथ संयुक्त रूप में क्लीनिकल ट्रायल की घोषणा की थी। लेकिन बाद में पता चला कि इस पूरे प्रोजेक्ट में चीनी सेना की सैन्य चिकित्सा विज्ञान अकादमी शामिल है। यानी जिस वैक्सीन के प्रोजेक्ट पर चीन काम कर रहा है, वह पूरी तरह से चीनी सेना के हाथ में है। इसके बाद इस प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक इस परीक्षण के बेहद पॉजिटिव रिजल्ट भी सामने आए थे।
चीन में भी वैक्सीन ट्रायल स्टेज पर
फिलहाल वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल अगले चरण में है। पहले ट्रायल के लिए कुल 108 लोगों को चुना गया था। जो वॉलंटियर्स आए थे, उनमें से 14 ने वैक्सीन के परीक्षण की अवधि पूरी कर ली है। 14 दिनों तक क्वारनटीन में रहने के बाद वो अपने-अपने घर भेज दिए गए थे।
जैसे ही उनके शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित हो जाएगी यानी उनके शरीर में एंटीबॉडी बन जाएगा, उनके खून का सैंपल लेकर वैक्सीन को बाजार में उतार दिया जाएगा।
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