तिरुवनंतपुरम. सरकार की ओर से मंगलवार को जारी आदेश में वी. नारायणन को अंतरिक्ष विभाग का सचिव और इसरो का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वह एस. सोमनाथ का स्थान लेंगे. इसरो के नवनियुक्त अध्यक्ष वी. नारायणन ने अपनी नई जिम्मेदारी संभालते हुए कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य चंद्रयान-4 और गगनयान मिशन को सफल बनाना है. साथ ही जोड़ा कि यह भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के लिए सफलता का एक सुनहरा दौर है.
उन्होंने बताया कि उन्हें सौंपी गई इस नई जिम्मेदारी की जानकारी उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और मौजूदा अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने दी थी. इस मौके पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन सहित देशभर के कई नेताओं और वैज्ञानिकों ने वी. नारायणन को बधाई दी.
चंद्रयान-4 मिशन: चांद से नमूने लाना प्राथमिकता
नारायणन ने कहा कि भारत चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया हैं. इसरो का अगला लक्ष्य चंद्रयान-4 मिशन है. इस मिशन के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से नमूने एकत्र कर पृथ्वी पर लाना है. इस मिशन पर काम शुरू हो चुका है.
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गगनयान मिशन: भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम का भविष्य
गगनयान मिशन के बारे में उन्होंने कहा कि यह इसरो का प्रमुख कार्यक्रम है. इसके तहत मानवरहित मॉड्यूल के प्रक्षेपण सहित अन्य कार्य तेजी से प्रगति पर हैं. यह मिशन भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा.
2028 तक भारत का अंतरिक्ष स्टेशन
इसरो प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना की मंजूरी दी है. इस स्टेशन में पांच मॉड्यूल होंगे, जिनमें से पहले मॉड्यूल को 2028 में लॉन्च करने की योजना है.
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वी नारायणन की उपलब्धियां
जन्म: तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के मेलाकट्टू गांव में हुआ.
शिक्षा: डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग (डीएमई) में प्रथम रैंक हासिल की. आईआईटी खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एम.टेक किया. प्रथम रैंक अर्जित की. एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की.
उपलब्धियां: 1984 में इसरो में शामिल हुए.
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में कार्य किया. जनवरी 2018 में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) के निदेशक नियुक्त हुए. जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (जीएसएलवी एमके III) सी25 क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे. पीएसएलवी के दूसरे और चौथे चरण का निर्माण किया. आदित्य स्पेसक्राफ्ट, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 के लिए प्रोपल्शन सिस्टम में योगदान दिया.