भारत के 49वें चीफ जस्टिस बने यूयू ललित, शपथ लेते ही चर्चा में आया बाबरी मस्जिद ध्वस्तीकरण

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उदय उमेश ललित ने शनिवार को भारत के 49वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली. सुबह 10:30 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण करने के बाद जस्टिस यूयू ललित ने अपने पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लिया. राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कानून मंत्री किरण रिजिजू, पूर्व चीफ जस्टिस एन वी रमना, सुप्रीम कोर्ट के कई जज और जस्टिस ललित के परिजन मौजूद रहे. चीफ जस्टिस यूयू ललित का कार्यकाल सिर्फ 74 दिनों का होगा. वो 8 नवंबर, 2022 को रिटायर होंगे.

यूयू ललित के चीफ जस्टिस बनते ही बाबरी मस्जिद ध्वस्तीकरण चर्चा में आने लगा है. साल 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के वक्त यूपी के तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह को भी आरोपी बनाया गया. उस समय यूयू ललित वकील के तौर पर पैरवी करते थे. साल 1997 में यूयू ललित कल्याण सिंह के वकील के तौर पर अदालत में पेश हुए थे. इसके बाद साल 2019 में जब राम मंदिर को लेकर ऐतिहासिक फैसला आया तो सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक पीठ में यूयू ललित भी शामिल थे. हालांकि, मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की आपत्ति के बाद उन्होंने खुद को इस पीठ से अलग कर लिया था.

चीफ जस्टिस यूयू ललित का जन्म 9 नवंबर, 1957 को महाराष्ट्र के सोलापुर में हुआ था. वो 13 अगस्त, 2014 को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे. ख़ास बात ये है कि जस्टिस यूयू ललित भारत के दूसरे ऐसे चीफ जस्टिस होंगे, जो इससे पहले हाईकोर्ट के जज नहीं थे, बल्कि सीधे वकील से जज बने. इससे पहले देश के 13वें चीफ जस्टिस एसएम सिकरी ने ये उपलब्धि हासिल की थी. जज बनने से पहले जस्टिस यूयू ललित का नाम देश के बड़े वकीलों में शुमार रहा. उन्हें 2जी स्पेक्ट्रम मामले में सीबीआई का स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया गया था.

जस्टिस ललित, बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान के काले हिरण शिकार मामले में भी वकील के तौर पर शामिल हुए. सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर केस में अमित शाह के वकील रहे, जो गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री थे. जस्टिस ललित, जनरल वीके सिंह की जन्मतिथि विवाद मामले में भी वे वकील थे. पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से जुड़े भ्रष्टाचार के केस में भी वे शामिल थे.

हाल ही में जस्टिस ललित ने अवमानना के मामले भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को 4 महीने की सज़ा दी थी. कोर्ट ने माल्या पर 2 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया था. यह भी कहा कि जुर्माना न चुकाने पर 2 महीने की अतिरिक्त जेल काटनी होगी. बच्चों को यौन शोषण से बचाने पर भी जस्टिस ललित ने अहम आदेश दिया था. उनकी अध्यक्षता वाली बेंच ने माना कि सेक्सुअल मंशा से शरीर के सेक्सुअल हिस्से का स्पर्श पॉक्सो एक्ट का मामला हैय यह नहीं कहा जा सकता कि कपड़े के ऊपर से बच्चे का स्पर्श यौन शोषण नहीं है.

जस्टिस यूयू ललित की प्राथमिकताएं…

बतौर चीफ जस्टिस उनकी क्या प्राथमिकताएं रहेगी.इसको जस्टिस ललित ने साफ किया है. बीते शुक्रवार की शाम जस्टिस एन वी रमना के विदाई समारोह में जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि उनकी कोशिश रहेगी कि पूरे साल एक संविधान पीठ संवैधानिक मसलों पर सुनवाई करें. 74 दिन के कार्यकाल में उनकी प्राथमिकताएं रहेगी.

कोर्ट में दाखिल केस की लिस्टिंग (सुनवाई के लिए लगने की प्रकिया) को ज्यादा से ज्यादा पारदर्शी किया जाए.

ऐसी व्यवस्था होंगी जिसमे वकील केस की जल्द सुनवाई को लेकर संबंधित बेंच के सामने मांग रख सकेंगे.

संवैधानिक मामलों की सुनवाई के लिए पूरे साल संविधान पीठ बैठेगी. जस्टिस ललित ने कहा कि वो समझते है कि सुप्रीम कोर्ट का रोल कानून की व्याख्या करना है, इसके लिए जरूरी है कि बड़ी बेंच का गठन हो ताकि संवैधानिक/कानूनी मुद्दो पर लोगों के बीच स्पष्टता हो सके.

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