भीमा-कोरेगांव: सुरक्षा एजेंसियों को आशंका, नक्सलियों ने रचा था पूरा षड्यंत्र
पुणे के भीमा-कोरेगांव में दलित (Dalit ) संगठनों के आंदोलन के पीछे शहरी नक्सल काडर का हाथ है। सुरक्षा एजेंसियों ने ऐसी आशंका जताई है। एजेंसियों के मुताबिक नक्सलियों ने भीमा-कोरेगांव में प्रदर्शन और सेमिनार का आयोजन इसलिए रखा ताकि इससे विवाद पैदा हो और उसके बाद पूरे महाराष्ट्र में दलितों का आंदोलन फैल जाए।
अप्रत्यक्ष तौर पर नक्सलवादियों से जुड़े हुए थे
भीमा-कोरेगांव की हिंसा से ठीक एक दिन पहले मुंबई में नक्सल फ्रंट ऑर्गनाइजेशंस की मीटिंग ‘यलगर परिषद’ के सीज किए दस्तावेजों के आधार पर एजेंसियों ने यह निष्कर्ष निकाला है।हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के पास भी इन डॉक्युमेंट्स की कॉपी है। नाम उजागर न करने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘हमारी सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट्स और रिकॉर्ड्स के मुताबिक 31 दिसंबर को पुणे के शनिवार वाड़ा में हुई फ्रंट ऑर्गनाइजेशंस की ‘यलगर परिषद’ में शामिल लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर नक्सलवादियों से जुड़े हुए थे।’
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ज्यादा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकें
उन्होंने कहा, ‘ऐसे आंदोलनों में नक्सली या तो घुस जाते हैं या फिर ऐसी हिंसा भड़का देते हैं। पहले भी ऐसा देखा गया है।’ सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी इस बात से इनकार नहीं किया है कि हिंसक आंदोलन में वामपंथी अतिवादी संगठनों का हाथ हो सकता है। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि हम इन संगठनों की भूमिका की जांच कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रदर्शन में बड़ी संख्या में ऐसे आंदोलनकारी थे, जो यह पिछड़ों के लिए जंग के नाम पर सुनिश्चित कर रहे थे कि पुलिस किनारे हो जाए और वे ज्यादा से ज्यादा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकें।
कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी
एक सीनियर आईपीएस अधिकारी ने कहा कि बीते दिनों में पेशवाओं के कथित दमनकारी शासन के दौरान कहे जाने वाले शब्द ‘पेशवाई’ को कुछ लोग नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश कर रहे हैं। वे सरकार को ‘नई पेशवाई’ करार दे रहे हैं। इस नए शब्द को गढ़ने की कोशिशों का जिक्र करते हुए अधिकारी ने कहा कि यलगर परिषद की मीटिंग के जो दस्तावेज पाए गए हैं, उसमें से एक नारा यह भी है। जिसमें लिखा है, ‘सबक दिया है भीमा-कोरेगांव ने, नई पेशवाई दफना दो कब्रिस्तान में।’ नक्सल फ्रंट ऑर्गनाइजेशन से जुड़ी एक सीनियर महिला मेंबर ने भी इस मीटिंग में हिस्सा लिया था। सीताबल्दी थाने की स्पेशल ब्रांच ने कुछ महीने पहले इस महिला के खिलाफ सबूतों के साथ रिपोर्ट तैयार की थी। हालांकि इस पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी।
(nbt)
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