UP Encounter : एक लाख का इनामी शार्प शूटर एनकाउंटर में ढेर

यूपी एसटीएफ की बड़ी सफलता, तड़के हुई मुठभेड़

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UP Encounter :  यूपी पुलिस को बड़ी सफलता उस समय हाथ लगी जब उसने शुक्रवार को तड़के एक लाख के इनामी माफिया और शार्प शूटर विनोद कुमार उपाध्याय को एनकाउंटर में ढेर कर दिया. यह शार्प शूटर अपना एक संगठित गिरोह बनाकर गोरखपुर, बस्ती, संतकबीर नगर, लखनऊ में कई सनसनीखेज हत्या की वारदातों को अंजाम दे चुका था. विनोद कुमार उपाध्याय का एनकाउंटर एसटीएफ मुख्यालय के डिप्टी एसपी दीपक कुमार सिंह के नेतृत्व में उनकी टीम ने किया है.

जानकारी के मुताबिक, गोरखपुर, बस्ती और संतकबीर नगर में विनोद उपाध्याय के खिलाफ 35 संगीन मामले दर्ज थे, लेकिन उसे किसी में सजा नहीं मिली थी. एसटीएफ की टीम ने शुक्रवार को तड़के जब उसे घेरा तो वह बचने के लिए फायरिंग करने लगा. उसने एसटीएफ टीम पर कई राउंड फायरिंग की. जवाबी कार्रवाई करते हुए एसटीएफ ने भी फायरिंग की जिससे उसे गोली लगी और वहीं गिर गया. आनन फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई.

पिछले साल घोषित हुआ था इनाम

एसटीएफ मुख्यालय के डिप्टी एसपी दीपक कुमार सिंह ने इस मुठभेड़ की पूरी जानकारी दी. बताया कि, ” शुक्रवार को तड़के उन्हें इस कुख्यात बदमाश की लोकेशन मिली थी. उसे पकड़ने के लिए निकली टीम ने उसे घेर लिया. खुद को घिरता देख विनोद ने पुलिस पर ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगा. जवाबी कार्रवाई में उसे गोली लगी और वह वहीं जमीन पर जा गिरा. घायल अवस्था में उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया. बीते साल सितंबर माह में यूपी पुलिस के उस पर एक लाख का इनाम घोषित किया था.

सात महीनों से पुलिस कर रही थी तलाश

पुलिस के अनुसार टॉप टेन बदमाशों की लिस्ट में विनोद उपाध्याय का नाम शामिल था. गोरखपुर क्राइम ब्रांच और एसटीएफ विनोद की पिछले 7 महीने से तलाश कर रही थी. विनोद उपाध्याय अयोध्या जिले के पुरवा का रहने वाला था.

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एक थप्पड़ ने बनाया हत्यारा

यूपी के कुख्यात माफिया विनोद उपाध्याय के बारे में बताया जाता है कि वह काफी शातिर अपराधी था. साल 2004 में किसी अपराध में विनोद गोरखपुर जेल में बंद था. उसी दौरान जीतनारायण नाम के बंदी ने गोरखपुर जेल में विनोद को किसी बात को लेकर हुए विवाद में एक थप्पड़ मार दिया. इस बात से आग बबूला हुआ विनोद जीतनारायण की हत्या करने के फिराक में था. साल 2005 में जब जीतनारायण जेल से बाहर आया तो विनोद ने बखीरा के पास उसे मौत का घाट उतार दिया. विनोद ने इसी हत्याकांड के साथ ही जुर्म की दुनिया में पहला कदम रखा था.

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