कांग्रेस ने बढ़ाया अखिलेश से दोस्ती का हाथ बोले अपनों से होती है नाराजगी
लोकसभा 2019 के नजदीक आने के साथ ही सियासी हलचल बढ़ गयी है। उत्तर प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए सभी दल अभी से रणनीति बनाने में जुट गए हैं। अखिलेश के नाराजगी जाहिर करने के बाद अब कांग्रेस को चाचा शिवपाल यादव और कृष्णा पटेल के अपना दल का साथ मिल सकता है।
राज बब्बर ने अखिलेश से बढ़ाया दोस्ती का हाथ
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने अखिलेश यादव की तरफ सहयोग का हाथ बढ़ाया है। उनका कहना है कि पार्टियों का नेतृवर्ग बात करके मामले को सुलझा लेंगे। राजबब्बर ने अखिलेश यादव की बुधवार को कांग्रेस के प्रति नाराजगी जाहिर करने वाले बयान पर कहा है कि नाराजगी तो अपनों से ही होती है गैरों से नहीं। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी बैठकर इस मामले में बात कर गिले शिकवे मिटा लेंगे। जनता चाहती है कि हम मिलकर चुनाव लड़ें।
दूसरी ओर कांग्रेस अखिलेश यादव और मायावती को किनारे करते हुए यूपी के छोटे दलों को साथ लेकर चलने की रणनीति भी तैयार कर रही है। सूत्रों का दावा है कि प्रगतिशील समाज पार्टी के संरक्षक शिवपाल यादव कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं। जबकि हो सकता है कि आरएलडी कांग्रेस के संपर्क में आये और अखिलेश व मायावती के गठबंधन के बाहर रहे। इतना ही नहीं कांग्रेस योगी सरकार में मंत्री और सोहेलदेव समाजपार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को भी अपने खेमे में मिला सकती है।
अखिलेश ने यह कहा-
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को कांग्रेस पर नाराजगी जाहिर करते हुए संकेत दे दिया है कि वो यूपी गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं करेंगे। अखिलेश यादव मध्य प्रदेश में सपा विधायक को मंत्री न बनाए जाने की वजह से कांग्रेस से नाराज हैं।
उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमने एमपी में कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन दिया है, फिर भी कांग्रेस ने हमारे विधायक को मंत्री नहीं बनाया। अखिलेश ने आगे कहा कि ऐसी हरकत कर कांग्रेस ने यूपी में हमारा रास्ता साफ कर दिया है। अखिलेश के रुख से साफ हो गया है कि सपा-बसपा गठबंधन से कांग्रेस बाहर रहेगी। पहले भी यही कयास लगाए जा रहे थे कि सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस शामिल नहीं होगी।
सपा-बसपा ने कांग्रेस का बिना शर्त समर्थन दिया था
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी ऐसे ही संकेत दिए थे। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114, बसपा को दो व सपा को एक सीट मिली थी जिसके बाद बहुमत के लिए जरूरी सीटों को जुटाने के लिए सपा-बसपा ने कांग्रेस का बिना शर्त समर्थन दिया था।
समर्थन का ऐलान करते हुए मायावती ने कहा था कि हम एमपी में भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन दे रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस को अहंकार से भरा हुआ करार दिया था। ऐसे में पहले मायावती व अब अखिलेश यादव के रुख से यह लगभग साफ लग रहा है कि यूपी में कांग्रेस गठबंधन से बाहर रहेगी।
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