इस अरबपति शख्स की कहानी है सबसे अलग, गरीबों के खाने पर लुटा दी पूरी दौलत

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आजकल इंसान अपने आप में इतना खो गया है कि किसी दूसरे की मदद करना तो दूर की बात है, किसी के बारे में सोचना भी पसंद नहीं करता  है। इस भीड़भाड़ वाली दुनिया में लोग अपना पेट पालने केलिए  और अपनी जेब भरने के आगे सबकुछ भूल बैठे हैं। लोग दुनिया की सारी दौलत पर सिर्फ अपना हक जमाना चाहते है। औऱ सिर्फ अपने भले और स्वार्थ हितों के अलावा किसी के बारे में सोचना भी पाप समझते  हैं।

लेकिन इन सब के बीच कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपना सर्वत्र न्योंछावर करने को तैयार हैं। अपनी पूरी कमाई गरीबों और बेसहारा लोगों में लूटाने के लिए तैयार हैं। किसी के आंसू कुछ लोग नहीं देख सकते हैं। और उनके आंसू पोछने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है इस  शख्स की जिसने अपनी पूरी दौलत सिर्फ गरीबों के खाने में लूटा दी।

आप को जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जिन्हें किसी भी लोभ लालच की परवाह नहीं हैं। और निस्वार्थ मन से गरीबों और बेसहारा लोगों की सेवा करते हैं। बता दें कि कभी करोड़पति होने वाले इस इंसान के पास आज कुछ भी नहीं बचा है। लेकिन पिर भी गरीबों की सेवा करना नहीं छोड़ा है। 82 वर्षीय इस बुजुर्ग की कहानी  ऐसी है  जो शायद ही  किसी की हो।

82 वर्षीय जगदीश लाल आहुजा। इन्हें लोग बाबा और इनकी पत्नी को जय माता दी के नाम से जानते हैं। 82 साल का ये बुजुर्ग पत्नी के साथ मिलकर रोज एक हजार लोगों का पेट भरता है। 17 साल से ये इंसान पीजीआई के बाहर दाल, रोटी, चावल और हलवा बांट रहा है, वो भी बिना किसी छुट्टी के। जो लोग उन्हें जानते हैं, वह कहते हैं कि आहुजा ने एक से डेढ़ हजार लोगों को गोद ले रखा है।

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ऐसा माना जाता है कि जब तक आहुजा जिंदा हैं, तब तक पीजीआई का कोई मरीज रात में भूखा नहीं सो सकता। वर्ष 2001 से लगातार वे पीजीआई के बाहर लंगर लगा रहे हैं। हर रात 500 से 600 व्यक्तियों का लंगर तैयार होता है। लंगर के दौरान आने वाले बच्चों को बिस्कुट और खिलौने भी बांटे जाते हैं। मजबूरों का पेट भरने के लिए वे अपनी कई प्रॉपर्टी भी बेच चुके हैं।

आहुजा बताते हैं कि साल 2001 में जब वे बीमार हुए थे तो उस दौरान पीजीआई में एडमिट थे। बड़ी मुश्किल से जीवन बचा था। उसके बाद से पीजीआई में लंगर लगा रहे हैं। पहले वे दो हजार से ज्यादा लोगों के लिए खाना लाते थे। उनकी देखा-देखी कई लोग पीजीआई के बाहर लंगर लगाने लगे। इससे उनके यहां आने वाले लोगों की संख्या कम हो गई है।

आहुजा कहते हैं कि सर्दी हो या गर्मी लेकिन कभी भी उनका लंगर बंद नहीं हुआ। आहुजा की उम्र 82 साल हो चुकी है। पेट के कैंसर से पीड़ित हैं। ज्यादा दूर चल नहीं पाते। इसके बावजूद लोगों की मदद करने में उनके जज्बे का कोई मुकाबला नहीं है। मरीजों और जरूरतमंदों के बीच में वे बाबा जी के नाम जाने जाते हैं

 

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