बीएचयू में अनोखा संग्रहालय, यहां रखा है दुनिया का सबसे बड़ा तानपुरा

BHU में 6 संस्थान, 14 संकाय, एवं लगभग 140 विभाग उपलब्ध

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वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) अपनी विविधताओं के लिए भी मशहूर है. इस विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1916 में बसंत पंचमी के दिन धर्म, मोक्ष एवं आध्यात्मिक की नगरी काशी में महामना मदन मोहन मालवीय जी के कर कमल द्वारा हुई. विश्वविद्यालय का मुख्य परिसर 1300 एकड़ क्षेत्रफल की भूमि में फैला हुआ है. जिसमें 6 संस्थान, 14 संकाय, एवं लगभग 140 विभाग उपलब्ध हैं. विश्वविद्यालय का एक और परिसर भी है जो मिर्जापुर जिले के बरकछा में 2700 एकड़ क्षेत्रफल पर स्थित है.

यह एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है जहां लगभग 34 से अधिक देशों से 30000 से अधिक छात्र एवं छात्राएं अध्यनरत हैं. इस विश्वविद्यालय को विद्या के मंदिर के रूप में भी जाना जाता है. लगभग 30000 भारतीय एवं विदेशी विद्यार्थियों के रचनात्मक प्रतिभा के चरित्र को विशेष बल मिले, इस कारण विश्वविद्यालय में लगभग 1700 उच्च योग्यताधारी शिक्षक एवं लगभग 5000 समर्पित कर्मचारियों को यहां स्थापित किया गया है. महामना का यह केंद्र अपनी विविधताओं को लेकर भी मशहूर है. यहां एक अनोखा संग्रहालय भी है.

संगीत और मंच कला संकाय का अनोखा म्यूजियम

महामना की बगिया कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दुनिया का सबसे अनोखा वाद्ययंत्रों का म्यूजियम है. खास बात ये है कि इस म्यूजियम में दुनिया का सबसे बड़ा तानपुरा रखा हुआ है. जिसकी लम्बाई आठ फीट है. बीएचयू के संगीत एवं मंच कला संकाय के पण्डित लालमणि मिश्र वाद्य संग्रहालय में इस तानपुरा को सुरक्षित और संरक्षित रखा गया है. वाद्य विभाग के अध्यक्ष वीरेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि इस तानपुरा की लंबाई 8 फीट और इसका व्यास 4 फीट का है.

इस तानपुरा को मेटल और पीतल से बनाया गया है. इसके साथ ही इसकी चाभी भी मेटल की है. बात यदि इस तानपुरा की करें तो इसे लोग खड़े होकर बजा सकते हैं. बताते चले कि आम तौर पर तानपुरा की लंबाई 4 से 5 फीट होती है लेकिन बीएचयू के इस म्यूजियम में रखा तानपुरा आम तानपुरे से लगभग 2 गुने साइज़ का है. यह संग्रहालय बनारस के संगीत घराने और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के इतिहास को बयां करता है. वीरेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि संग्रहालय का नाम पंडित लालमणि मिश्रा है. उनके समय में ही इसका निर्माण कराया गया.

इस संग्रहालय में बहुत से इंस्ट्रूमेंट यही के हैं, और बहुत से बाहर से भी दिए गए हैं जैसे- तानपुरा, सितार, संदूर, विचित्र वीणा, सरस्वती, वीणा, तबला, झांझ, शहनाई, झुनझुना, ढोलक, तुड़गुड़ा, जल तरंग आदि. उपलब्ध हैं. यहां 200 वर्ष से भी अधिक पुराने वाद्य यंत्र मौजूद हैं. बीएचयू परिसर में संगीत और मंच कला संकाय स्थित है. उसके अंदर ही यह वाद्य यंत्र का म्यूजियम है. म्यूजियम में 150 से ज्यादा वाद्ययंत्र हैं. संगीत में रुचि रखने वाले लोग संकाय प्रमुख के आदेश के बाद इस म्यूजियम को देख सकते हैं.

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ज्यादातर यंत्र हैं ठीक

बीएचयू के इस वाद्ययंत्र म्यूजियम में रखे गए ज्यादातर इंस्टूमेंट्स बजाने लायक हैं जिन्हें संरक्षित कर यहां रखा गया है. कुछ यंत्र ऐसे भी हैं जिनकी रिपेयरिंग कोलकाता से कराई गई है. इन सब वाद्य यंत्रों के बीच जो लगभग 200 साल पुराना माना जाता है. यहां हारमोनियम है और सबसे बड़ी बात यह है कि इस हारमोनियम को पैर से हवा भरा जाता था और दोनों हाथों से बजाया जाता था. संकाय प्रमुख प्रोफेसर संगीता पंडित ने बताया कि पूर्वांचल में इस तरह का कोई भी म्यूजियम नहीं है. यहां पर पुराने और नए वाद्य यंत्रों का संग्रह है. जिसे आज भी सहेज कर रखा गया है. कुछ वाद्य यंत्र ऐसे हैं जिसका अब प्रयोग नहीं किया जाता है, परंतु पुराने जमाने में इसका प्रयोग किया जाता था. यह म्यूजियम बच्चों के लिए काफी लाभप्रद सिद्ध होता है. आज के समय में इसकी काफी उपयोगिता है.

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