इंदौर में कोरोना मरीजों के घर में इलाज की नायाब पहल

0

मध्य प्रदेश के सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित इंदौर में मरीजो को घर पर रखकर ही उपचार किए जाने की अभिनव पहल की गई है। इसमें मरीज अपने घर पर ही रहता है और उसका इलाज किया जाता है।

निर्धारित मापदंडों के अनुसार मरीजों का घर में इलाज

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, माइल्ड एवं एसिंप्टोमेटिक कोविड मरीजों का निर्धारित मापदंडों के अनुसार घर में इलाज किया जा रहा है। घर में रहकर उन्हें उपलब्ध कराये जा रहे इलाज और सुविधाओं से मरीज स्वस्थ भी होने लगे है। ऐसे मरीज जिनका घर में उपचार किया जा रहा है उनके मॉनिटरिंग और इलाज संबंधी परामर्श तथा उपचार के लिये एक एप बनाया गया है। साथ ही अत्याधुनिक सुविधा से युक्त नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। इस नियंत्रण कक्ष और एप के माध्यम से सभी व्यवस्थाए मरीज को दी जा रही है, सतत निगरानी की जा रही है और उन्हें परामर्श तथा आवश्यकता के अनुसार उपचार और अन्य मदद मुहैया कराई जा रही है।

होम आइसोलेशन से 190 मरीजों को किया जा रहा है मॉनिटर

स्वाथ्य विभाग का दावा है कि, अभी तक 93 मरीजों का होम आइसोलेशन का समय पूरा हो चुका है। उल्लेखनीय है कि, होम आइसोलेशन की यह व्यवस्था पांच मई से शुरू की गई थी। वर्तमान में होम आइसोलेशन से 190 मरीजों को मॉनिटर किया जा रहा है। जिसमें से 97 एक्टिव प्रकरण हैं तथा 93 मरीजों का होम आइसोलेशन पूर्ण हो चुका है।

होम आइसोलेशन के प्रोटोकल के तहत मरीज के घर में एक अलग कक्ष जिसमें शौचालय होना चाहिए। मरीज की देखभाल करने के लिए कोई होना चाहिए, जो चौबीसो घंटे मरीज की आवश्यकतानुसार सहायता कर सके। होम आइसोलेशन में रह रहे व्यक्ति समस्त सावधानियों जैसे मास्क, हैंड ग्लव्स, सैनिटाइजर का उपयोग करें, जिससे संक्रमण फैलने से रोका जा सके। इसके साथ ही मरीज द्वारा एक डिक्लेरेशन फॉर्म भी भराया जाता है जिसमें वह 17 दिन का होम आइसोलेशन निर्धारित मापदंडों के अनुसार पालन करने की सहमति देता है।

मरीज को दी जाती है मेडिसिन किट

होम आइसोलेट किए गए मरीज को रैपिड रिस्पांस टीम द्वारा एक मेडिसिन किट एवं एक पल्स अक्सीमीटर दिया जाता है। मेडिसन किट में एलोपैथी, होम्योपैथी एवं आयुर्वेदिक दवाइयां होती हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कार्य करती है। पल्स ऑक्सीमीटर द्वारा ऑक्सीजन सैचुरेशन तथा पल्स रेट मापा जाता है। आइसोलेट किए गए व्यक्ति द्वारा ऐप के माध्यम से अक्सीजन सैचुरेशन तथा पल्स रेट हर चार घंटे के अंतराल में फीड किया जाता है। जैसे ही कोई मरीज आंकड़े फीड करता है, वह कंट्रोल रूम के मॉनिटर पर प्रदर्शित होता है। यदि कोई मरीज उससे संबंधित डाटा फीड नहीं करता है तो कंट्रोल रूम में ड्यूटी कर रहा चिकित्सक जानकारी लेता है। कंट्रोल रूम में चार ड्यूटी डॉक्टर उपस्थित रहते हैं जिनके द्वारा होम आइसोलेटेड मरीजों पर 24 घंटे निगरानी रखी जाती हैं।

यह भी पढ़ें: खुशखबरी: यूपी में फिर से शुरू हो सकती है 69000 शिक्षकों की भर्ती, कोर्ट ने दिये आदेश

यह भी पढ़ें: दलित लड़कियों से छेड़खानी पर CM सख्त, दिया रासुका लगाने के आदेश 

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हेलो एप्पडेलीहंट या शेयरचैट इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More