‘हिंदी दिवस’ पर अमित शाह की अपील, बोले- हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग करें देशवासी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस के अवसर पर सोमवार को देशवासियों से हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग कर उसके संरक्षण में अपना योगदान देने का संकल्प लेने की अपील की है। उन्होंने हिंदी दिवस पर जारी अपने वीडियो सन्देश में कहा कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों की अविरल धारा, मुख्य रूप से हिंदी भाषा से ही जीवन्त तथा सुरक्षित रह पाई है। गृहमंत्री ने सरकारी कामकाज को अनुवाद की अपेक्षा मूल रूप से हिंदी में करने पर जोर दिया। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आज भारत एक संसाधन-संपन्न शक्तिशाली देश के रूप में उभर रहा है और इसमें देश की समृद्ध भाषा हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है।
एक देश की पहचान उसकी सीमा व भूगोल से होती है, लेकिन उसकी सबसे बड़ी पहचान उसकी भाषा है। भारत की विभिन्न भाषाएं व बोलियां उसकी शक्ति भी हैं और उसकी एकता का प्रतीक भी। सांस्कृतिक व भाषाई विविधता से भरे भारत में ‘हिंदी’ सदियों से पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोने का काम कर रही है।
— Amit Shah (@AmitShah) September 14, 2020
वैश्विक मंचों पर प्रधानमंत्री द्वारा हिंदी में दिए गए भाषणों से, हिंदी का वैश्विक कद मजबूत हुआ है और हिंदी प्रेमियों को प्रेरणा भी मिल रही है। गृह मंत्री ने कहा कि हिंदी की सबसे बड़ी शक्ति इसकी वैज्ञानिकता, मौलिकता, सरलता, सुबोधता और स्वीकार्यता है। हिंदी भाषा की विशेषता है कि इसमें जो बोला जाता है, वही लिखा जाता है।
मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति से अन्य भारतीय भाषाओं व हिंदी का समानांतर विकास होगा। प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अभियान को आगे बढ़ाते हुए, राजभाषा विभाग द्वारा हिंदी के लिए ई-टूल्स सु²ढ़ करने का काम किया जा रहा है।
आज हिंदी दिवस के अवसर पर मैं इसके सशक्तिकरण में योगदान देने वाले सभी महानुभावों को नमन करता हूँ और देशवासियों से यह आवाहन भी करता हूँ कि अपनी मातृभाषा के साथ-साथ हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग कर उनके संरक्षण व संवर्धन में अपना योगदान देने का संकल्प लें।
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।
— Amit Shah (@AmitShah) September 14, 2020
हिंदी भाषा और बाकी सारी भारतीय भाषाओं ने मिलकर भारत की सांस्कृतिक विविधता को आगे ले जाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है।
हिंदी की प्रतिस्पर्धा कभी भी स्थानीय भाषा से नहीं रही, यह पूरे भारत के जनमानस में ज्यादा स्पष्ट होने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हम प्रतिज्ञा लें कि हिंदी की उन्नति व प्रगति की यात्रा पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़ाते हुए, हम सब मिलकर राजभाषा हिंदी को सभी स्थानीय भाषाओं के साथ में रखते हुए, हिंदी के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे।
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