वाराणसी सिटी रेलवे स्टेशन पर ट्रेन संख्या 151 11 छपरा-वाराणसी सिटी इंटरसिटी एक्सप्रेस की बोगी में एक दो वर्ष का मासूम बच्चा लावारिस हालतमें रेलवे पुलिस को मिला. लगता है कि इसके माता-पिता या सिर्फ माता इस तन्हा छोड़कर चली गई. रेलवे पुलिस की महिला पुलिसकर्मियों ने बच्चे को अपनत्व का अहसास कराया और उसके परिजनों की तलाश करती रही, लेकिन परिजन नही मिले.
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रेलवे पुलिस के अनुसार प्रभारी निरीक्षक अंजू लता द्विवेदी के निर्देशन में ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत गाड़ी के प्लेटफार्म नंबर पांच पर सुबह 9.55 बजे छपरा-वाराणसी सिटी इंटरसिटी एक्सप्रेस पहुंची. ट्रेन की चेकिंग के दौरान जनरल बोगी के कोच संख्या 174448/सी में एक दो वर्षीय अबोध बालक रोता हुआ मिला.
बच्चे की हालत देख पुलिसकर्मी भी हो गये द्रवित
उप निरीक्षक सुधीर कुमार राय साथ महिला कांस्टेबल शशिकला बेतहाशा रो रहे बच्चे की हालत देखी तो दया आ गई. महिला कांस्टेबल ने बच्चे को गोद में उठा लिया. इसके बाद उसके परिजनों की तलाश में प्लेटफार्म पर मौजूद लोगों से पूछताछ की, लेकिन उसके वारिस नही मिले. रेलवे पुलिस ने माइक से एनाउंस भी कराया, इस उम्मीद में कि उसे परिजन आसपास हो सकते हैं लेकिन वारिस नदारत. अब इस अबोध बालक की स्थिति यह है कि वह परिजनों के बारे में कुछ भी बताने की स्थिति में नही है. इसके बाद उसे रेलवे पोस्ट पर लाया गया और लाकर डायरी पर तैनात महिला कांस्टेबल माला पांडेय को सुपूर्द कर दिया गया.
बच्चे का लावारिस मिलन छोड़ गया कई सवाल
जब परिजनों के मिलने की उम्मीद खत्म हो गई तो रेलवे पुलिस ने चाइल्ड लाइन वाराणसी को सूचना दी. इसके बाद चाइल्ड लाइन के लोग आये और बाकायदा लिखापढ़ी के साथ बच्चे को उनके हवाले कर दिया गया. अब इस बच्चे के मिलने के बाद लोगों और खुद पुलिसकर्मियों के जेहन में कई सवाल उठ रहे हैं. बच्चा किसका है और उसने बोगी में उसे क्यों छोड़ा? इसके अलावा भी उस बच्चे के बारे में कई सवाल उठ रहे हैं. लेकिन ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि महज दो साल के बच्चे के साथ कोई महिला या उसकी मां जरूर रही होगी. लेकिन उसने ऐसा किया क्यो? पुलिस के पास अब सीसीटीवी फुटेज का सहारा है. बोगी में तो कोई कैमरा था नही, अब उस बोगी से उतरनेवालों की जांच की जाय तो वह भी एक कठिन प्रक्रिया है.