पेट्रोल पंप पर काम करते ये महिला दे रही पुरुषों को चुनौती

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महिलाएं किसी से कम नहीं है। आज की नारी पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। ऐसी ही दो महिलाएं है जो पुरुषो को मात दे रही है। शहरी महिलाएं हों या ग्रामीण, कामकाजी महिला हों या गृहिणी सभी को अपने जीवन में चुनौतियों का समना करना पड़ता है। फिर भी महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं।

छत्तीसगढ़ के धार जिले में पेट्रोल पंप पर तैनात

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम आपको कुछ ऐसी महिलाओं से रू-ब-रू करा रहे हैं जिन्होंने जीवन की चुनौतियों का सामना किया और समाज में अपनी अलग पहचान बनाई। इसी कड़ी में हम आपको मिलवा रहे हैं छत्तीसगढ़ के धार जिले में पेट्रोल पंप पर तैनात दो महिलाओं बबिता और ललिता से।

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बबिता और ललिता की कहानी इसलिए भी खास है क्योंकि आदिवासी बहुल इलाकों में पुरुषों के साथ पेट्रोल पंप पर काम करना किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसा करके ये दोनों आस पास की लड़कियों और महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। बबिता की 6 साल पहले शादी हुई थी। पति किशोर एक निजी कंपनी में काम करते हैं। उनके दो बच्चे हैं। किशोर की तनख्वाह इतनी नहीं है कि परिवार का पेट पालने के बाद वह बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा सकें।

पेट्रोल पंप पर काम करने का ऑफर आया

अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और अच्छी परवरिश देने के लिए बबिता ने नौकरी करने का मन बनाया। बबिता बताती हैं कि काम करने के उनके फैसले को पति का समर्थन तो मिल गया लेकिन परिवार वालों को यह ठीक नहीं लगा और उन्होंने बाहर जाकर काम करने से मना कर दिया। काफी समझाने के बाद वो राजी हो गए। फिर क्या था, पेट्रोल पंप पर काम करने का ऑफर आया और मैंने हां कह दी।

करीब हफ्ते भर की ट्रेनिंग के बाद मैंने काम करना शुरू कर दिया। बबिता कहती हैं कि मैं ढाई साल से इस पेट्रोल पंप पर काम कर रही हूं। मेरे बच्चे अब अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं। परिवार और गांव के लोगों में मेरा रुतबा भी बढ़ गया है। बबिता के साथ ही ललिता भी गाड़ियों में पेट्रोल भरने का काम करती है।

वह धार के पीजी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई भी कर रही है। ललिता ने बताया कि वह सैलरी का कुछ हिस्सा अपने घर भेजती है और बाकी से पढ़ाई और अपना खर्च चलाती है। उसका सपना है कि एक दिन वह बड़ी अधिकारी बने।

”लड़कों से कम नहीं लड़कियां”

ललिता और बबिता कहती हैं कि उन्हें पेट्रोल पंप के स्टाफ का भी काफी सहयोग मिलता है। वहीं, पेट्रोल पंप के मैनेजर गोपाल धथेलिया का कहना है कि हमें कभी ऐसा नहीं लगा कि ये लड़कियां किसी भी मामले में लड़कों से कम हैं। वो कहते हैं कि वाहनों में पेट्रोल भरना हो या राशि का लेन-देन महिलाएं अपनी हर जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकती हैं।

zeenews

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