मानवाधिकार कार्यकर्ता समेत रूस-यूक्रेन की 2 संस्थाओं को मिला नोबेल शांति पुरस्कार
बीते शुक्रवार (7 अक्टूबर) को साल 2022 के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा की गई. इस बार ये पुरस्कार जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की समेत दो संस्थाओं को दिया गया है. नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने बेलारूस के मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की, रूसी मानवाधिकार संगठन ‘मेमोरियल’ और यूक्रेन के मानवाधिकार संगठन ‘सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज’ को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
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The Norwegian Nobel Committee has decided to award the 2022 #NobelPeacePrize to human rights advocate Ales Bialiatski from Belarus, the Russian human rights organisation Memorial and the Ukrainian human rights organisation Center for Civil Liberties. #NobelPrize pic.twitter.com/9YBdkJpDLU— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 7, 2022
मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की ने यूक्रेन में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के चल रहे युद्ध के बीच सभी संगठनों ने यूक्रेन, रूस और रूस के करीबी सहयोगी बेलारूस में अधिकारों के हनन को उजागर करने के लिए काम किया है. विजेताओं की घोषणा के तुरंत बाद, नोबेल समिति ने बेलियात्स्की की रिहाई का आह्वान किया, जो वर्तमान में कर चोरी के आरोप में अपने मूल बेलारूस में कैद है.
बता दें नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को नार्वे नोबेल कमेटी के प्रमुख बेरिट रीज एंडर्सन ने ओस्लो में की. उन्होंने कहा ‘इस पुरस्कार ने अतीत में संघर्षों को रोकने, कठिनाई को कम करने और मानवाधिकारों की रक्षा करने की कोशिश कर रहे समूहों और कार्यकर्ताओं पर ध्यान केंद्रित किया है.’
नोबेल पुरस्कार कमेटी ने आधिकारिक बयान में कहा ‘इन शांति पुरस्कार विजेताओं ने युद्ध अपराधों, मानवाधिकारों के हनन और सत्ता के दुरुपयोग का दस्तावेजीकरण किया. साथ ही शांति व लोकतंत्र की स्थापना के लिए नागरिक समाज के महत्व पर जोर दिया है. विजेता अपने गृह देशों में वर्षों से नागरिक समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन्होंने आलोचना के अधिकार के साथ ही जनता के मूल अधिकारों की वकालत की. साथ में वे शांति और लोकतंत्र के लिए नागरिक समाज के महत्व को प्रदर्शित करते हैं.’
जानिए कौन हैं एलेस बियालियात्स्की…
बेलारूसी मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की 1980 के दशक में लोकतांत्रिक आंदोलन शुरू करने वालों में से एक हैं. साल 1996 में उन्होंने वायसना (स्प्रिंग) संगठन की स्थापना की. उन्होंने सारा जीवन राजनीतिक कैदियों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों, देश में लोकतंत्र की स्थापना और शांतिपूर्ण विकास के लिए समर्पित किया. वियासना संगठन ने जेल में बंद प्रदर्शनकारियों और उनके परिवारों को सहायता प्रदान की. कई वर्षों के बाद में वायसना एक व्यापक मानवाधिकार संगठन के रूप में विकसित हुआ, जिसने सरकारी अधिकारियों द्वारा राजनीतिक कैदियों के खिलाफ यातना के उपयोग का दस्तावेजीकरण और विरोध किया.
जानें मेमोरियल के बारे में…
पूर्व सोवियत संघ के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से साल 1987 में इस संस्था की स्थापना की गई थी. संस्था का मुख्य उद्देश्य कम्युनिस्ट शासन के पीड़ित लोगों की मदद करना व चेचन्या युद्ध में किए गए अत्याचारों की आवाज दुनिया तक पहुंचाना था.
जाने सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज के बारे में…
यूक्रेनी नागरिक समाज को संगठित व मजबूत करने के लिए इस संस्था की स्थापना की गई. फरवरी, 2022 मे रूसी हमले के बाद इस संस्था ने रूसी युद्ध अपराधों की पहचान करने और उनके खिलाफ सबूत इकट्ठा करने का काम किया.
कैरोलिन आर. बर्टोज़ज़ी, मोर्टन मेल्डल और के. बैरी शार्पलेस को पदार्थों के निर्माण के वास्ते ‘अणुओं के एक साथ विखंडन’ के लिये केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार दिया गया. साहित्य के क्षेत्र में साल 2022 का नोबेल पुरस्कार फ्रांसीसी लेखिका एनी अर्नाक्स के नाम रहा है. अब 10 अक्टूबर को अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार का एलान किया जाएगा.
बता दें पिछले साल यह पुरस्कार दो पत्रकारों, रूस के दिमित्री मुरातोव और फिलीपीन्स के मारिया रेसा को दिया गया था. तब उन्हें यह पुरस्कार लोकतंत्र और शांति की अहम जरूरत, फ्रीडम ऑफ स्पीच की हिफाजत के लिए दिया गया था.
नोबेल शांति पुरस्कार साल 1901 से 2022 के बीच अब तक 130 बार 140 से नोबेल प्राइज़ विजाताओं को दिए जा चुके हैं. इनमें 110 व्यक्ति और 30 संस्थान शामिल हैं. तब से अब तक इंटरनेशनल कमिटी ऑफ रेड क्रॉस को 3 बार नोबेल पुरस्कार मिला है. इसे साल 1917, साल 1944 और साल 1963 में नोबेल पुरस्कार मिला. संयुक्त राष्ट्र के शर्णार्थियों के लिए हाई कमिश्नर को 2 बार शांति का नोबेल पुरस्कार (साल 1954, साल 1981) में मिल चुका है. अब तक 27 व्यक्तिगत संस्थाएं भी नोबाल पुरस्कार जीत चुकी हैं.
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