मां की लाश के साथ करीब एक साल से रह रही थीं दो बेटियां
वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र के सामने घाट के पास मदरवां में बुधवार को हृदयविदारक और सनसनीखेज घटना की जानकारी हुई. यहां एक मकान में दो बेटियां महीनों पहले मर चुकी अपनी मां की लाश के साथ रह रही थीं। जब उनके रिश्तेदार के जरिए पुलिस को इसकी जानकारी हुई तो वह पहुंची तो कंकाल मिला. मकान के हालात व परिवार की स्थिति देख पुलिसवालों के भी रोंगटे खड़े हो गये। कहानी मार्मिक और विवशता की दाशतां हैं. स्थिति यह कि मृत मां की दो बेटियों की मानसिक स्थिति भी ठीक नही है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
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बहनोई पहुंचे तो हुआ घटना का खुलासा
बताया जाता है कि मूल रूप से बलिया जिले की निवासिनी 52 वर्षीय उषा तिवारी मदरवां स्थित मायके में अपनी दो बेटियों के साथ रह रही थीं. पति दो साल से घर नही आये. पति से सम्बंध आदि के बारे में पुलिस को अभी स्पष्ट जानकारी नही मिल सकी है. दो साल से पति का यहां आना नही हुआ है. दो बेटियां पल्लवी त्रिपाठी (27) और वैश्विक तिवारी (18) हैं. पल्वी ने मास्टर डिग्री प्राप्त की है और वैश्विक त्रिपाठी कक्षा 10 की छात्रा हैं. बुधवार को मृतका उषा तिवारी के बहनोई और मिर्जापुर जिले के जमालपुर थाना क्षेत्र के गौरी बहुवर गांव निवासी धर्मेंद्र कुमार चतुर्वेदी मदरवां पहुंचे. उन्होंने कंट्रोल रूम को फोन किया कि मेरी साली की बेटियां दरवाजा नही खोल रही हैं. उन्होंने अनहोनी की आशंका जताई. इसके बाद लंका थाने की पुलिस वीडियोग्राफी टीम के साथ पहुंची. पुलिस के लाख कहने पर लड़कियों ने दरवाजा नही खोला. पुलिस को दरवाजा तोड़ना पड़ा. लेकिन अंदर के हालात देख पुलिसवालों के होश उड़ गये. देखा कि एक कमरे में मां उषा तिवारी का कंकाल पड़ा था और दूसरे कमरे में दोनों बेटियां थीं. पुलिस ने बेटियों से पूछा तो उन्होंने बताया कि आठ दिसम्बर 2022 को बीमारी के कारण मां की मौत हो गई थी. पुलिस ने पूछा कि तब इसकी सूचना रिश्तेदारों, आसपास के लोगों या पुलिस को क्यों नही दी तो उन्होंने बताया कि ऐसी कोई स्थिति नही थी. हमारे पास कोई साधन नही था. बातचीत में ऐसा लगा कि दोनों बेटियों की भी मानसिक स्थिति ठीक नही है. इस सनसनीखेज वारदात की सूचना पर एसीपी भेलूपुर समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे. कंकाल को लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा.
मां की मौत की भनक भी नही लगने दी
पुलिस की पूछताछ में आसपास के लोगों ने बताया कि उषा तिवारी बीमार थीं. उनकी देखभाल दोनों बेटियां ही करती थी. मां की मौत हो गई तो बेटियों ने किसी को नही बताया. दोनों आसपास के लोगों से कोई खास मतलब नही रखती थीं. इसलिए लोगों ने भी ध्यान नही दिया.
गहने बेचकर किया मां का इलाज फिर भी नही बची मां
मामले की जांच के दौरान पता चला कि मृतका उषा तिवारी की मां का निधन हो चुका था. ससुराल से रिश्ते बिगड़ने के बाद से वह दो बेटियों के साथ मायके में ही रहती थीं. यह भी पता चला कि मां की बीमारी के इलाज के लिए बेटियों ने पहले घर के गहने आदि बेचे. फिर भी मां नही बची और उनकी मौत हो गई. किन्ही कारणों से बेटियों ने मां के मौत की जानकारी किसी को नही दी. इसके बाद आसपास के लोगों से मदद लेकर दोनों अपना जीवन यापन करती रहीं. फिर भी किसी को मां की मौत की किसी को भनक नही लगने दी. इस दौरान मोहल्ले के एक व्यक्ति को संदेह हो गया तो उसने बहनोई धर्मेंद्र कुमार चतुर्वेदी को सूचना दे दी. धर्मेंद्र घर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी तो इसका खुलासा हुआ.