इंडियन गधों के प्रेम में जी रहा है यह ब्रिटिश जोड़ा

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ढाई दशक पहले इंग्लैंड के शहर हैरविच से भारत घूमने आईं जीन हैरिसन ने पुरानी दिल्ली इलाके में देखा कि एक गधा रेहड़ी खींच रहा है। धीरे चलने पर एक आदमी उसे डंडा मार रहा है। यहीं से जीन हैरिसन के मन में विचार आया कि वह भारत में गधों के हित में काम करेंगी। इससे पहले वह इंग्लैंड में जानवरों के लिए काम करने वाली संस्था से जुड़ी थीं। एक साल बाद वह अपने पति को भी यहां ले आईं।

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यहां पर उनके पति ब्रिटिश ऐंबैसी में 3 साल तक वीजा ऑफिसर रहे। यहां पति बॉब हैरिसन के साथ रहने के दौरान केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के संगठन पीपल फॉर ऐनिमल से जुड़ी रहीं। यहीं से गुड़गांव में प्रॉजेक्ट शुरू हुआ।कई सालों तक कोशिश करने पर उन्हें 2008 में खेड़कीमाजरा में जमीन मिली। यहां पर ‘ऐसविन प्रॉजेक्ट’ की शुरुआत हुई। अब उनके पास 125 गधे-घोड़ों के अलावा 50 कुत्ते भी हैं। अधिकतर जानवर यहां घायल अवस्था में लाए गए। 10 कर्मचारी भी यहां पर तैनात हैं।

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पति-पत्नी रोजाना न केवल जानवरों की देखभाल करते हैं बल्कि खुद उनकी ड्रेसिंग भी करते हैं। 2 कर्मचारी दोपहर में गधों और घोड़ों को घुमाने के लिए भी ले जाते हैं। बॉब ने बताया कि निगम ने जमीन उन्हें दे दी है। लेकिन वह मेंटिनेंस का खर्च मुश्किल से उठा पाते हैं। पत्नी की ओल्ड ऐज पेंशन के अलावा अपनी पेंशन के करीब 83 हजार रुपये घर और इस प्रॉजेक्ट पर खर्च करते हैं। पत्नी की उम्र 76 साल है और बॉब की 74 साल हो चुकी है। बताते हैं कि उनके बाद यह प्रॉजेक्ट 50 वर्षीय बेटी वाइरिनिया संभालेगी।

(साभार-एनबीटी)

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