अभी और बढ़ेगा टमाटर का भाव, आमतौर पर नवंबर में मंहगा होता है टमाटर

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इन दिनों टमाटर ने जेबें ढीली कर दी है। जून के महीने में बेहताशा टमाटर के दामों में ऊंचे उछाल से रसोई का स्वाद भी बिगाड़ दिया है। मंडी में टमाटर जहां 30-40 किलोग्राम में बिक रहा था, वहीं अब 100 से 120 किलो में बेचा जा रहा है। टमाटर के भाव किसी एक या दो राज्यों में नहीं बढ़े हैं, बल्कि यूपी, दिल्ली समेत कई राज्यों में टमाटर महंगा हो गया है। वर्तमान में जिस भाव पर टमाटर बिक रहा है, आमतौर पर उस दाम में 6-7 हरी सब्जियां आ जाती थीं। लेकिन अब टमाटर के साथ-साथ हरी सब्जियों ने भी मुंह छिड़ाना शुरू कर दिया है। एक रिपोर्ट में पता चला है कि टमाटर के दाम हर साल नवंबर-दिसंबर माह में बढ़ते हैं। लेकिन इस बार जून के महीने में ही टमाटर ऊंचे दाम पर बिक रहा है।

मंडी में टमाटर के ऊंचे भाव

बता दें, इस साल की शुरुआत में, प्याज और आलू की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा गया है। इससे महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में उपभोक्ताओं और किसानों के बीच तनाव पैदा हो गया था। वहीं अब जून के महीने में ही टमाटर के दाम 100 रुपये के पार हो गये हैं। दिल्ली में टमाटर की कीमतें आसमान छू रही हैं। यहां टमाटर 100 रुपये पर बिक रहे हैं। इस बीच बेंगलुरु, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और हैदराबाद के कुछ हिस्सों में टमाटर 120 रुपये से अधिक दाम पर बेचे जा रहे हैं।

 

शहरटमाटर मूल्य/kg
बेंगलुरूRs 80-100
नोएडाOver Rs 100
लखनऊRs 100-120
भोपालRs 90-100
दिल्लीRs 100

 

टमाटर महंगे होने की दो वजह

एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, जून के महीने में टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी की मुख्य वजह मॉनसून में देरी है। उच्च तापमान में टमाटर का उत्पादन कम हो जाता है, ऐसे में टमाटर का भाव बढ़ना स्वाभाविक है। वहीं, कुछ जगहों पर हो रही भारी बारिश ने भी कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि में योगदान दिया है। क्योंकि पूर्वी व उत्तरी क्षेत्रों में टमाटर समतल क्षेत्रों से आता है, बारिश की वजह से आवागमन ठप्प हो गया है। जिसका प्रभाव टमाटर के भाव पर पड़ा है।

कर्नाटक से आता है टमाटर

दरअसल, टमाटर जल्दी खराब होने वाली फसलों में आता है। इसलिए छोटे किसान टमाटर का उत्पादन नहीं करते हैं, क्योंकि इसमें रिस्क ज्यादा होता है। रिस्की फसल होने के कारण किसान इसे उगाते ही नहीं है। इसलिए छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में टमाटर कर्नाटक से आता है। लेकिन कर्नाटक में भारी बारिश के कारण टमाटर की सप्लाई कमजोर हो गई है। इसलिए टमाटर के भाव बढ़ गए हैं।

नवंबर में महंगा होता है टमाटर

क्रिसिल रिसर्च का कहना है कि टमाटर की कीमतें, जो नवंबर में सालाना आधार पर 142 फीसदी बढ़ी हैं, अगले 45-50 दिनों तक बढ़ती रहेंगी। अक्टूबर-दिसंबर के महीनों के दौरान कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्य टमाटर के प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं। ये पहली बार हो रहा है कि जून के महीने में टमाटर के दाम बढ़े हैं। 

लू लगने से बिगड़ा टमाटर 

वहीं, एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके पीछे का कारण भारी बारिश के अलावा टमाटर उत्पादक क्षेत्रों में लू के कारण आपूर्ति में गिरावट है। बारिश के कारण कर्नाटक के टमाटर उत्पादक जिलों कोलार, चिक्कबल्लापुर, रामनगर, चित्रदुर्ग और बेंगलुरु ग्रामीण में भी टमाटर की आपूर्ति में काफी व्यवधान दर्ज किया गया। कम उत्पादन का दूसरा कारण किसानों द्वारा कीटनाशकों और उर्वरकों का कम उपयोग बताया जाता है, क्योंकि दरें लाभकारी नहीं थीं।

 

बाजारों में टमाटर के भाव

उपभोक्ता मामलों के विभाग के तहत मूल्य निगरानी प्रभाग द्वारा बनाए गए डेटाबेस से पता चलता है कि खुदरा बाजारों में औसतन एक किलोग्राम टमाटर की कीमत 25 रुपये से बढ़कर 41 रुपये हो गई है। खुदरा बाजारों में टमाटर की अधिकतम कीमतें 80-113 रुपये के बीच रहीं। मुख्य सब्जियों की दरें थोक बाजारों में उनकी कीमतों में वृद्धि के अनुरूप थीं। जो जून में औसतन लगभग 60-70 प्रतिशत बढ़ीं।

विक्रेताओं ने बताई वजह

स्थानीय निवासी मोहम्मद राजू ने कहा, “टमाटर 80 रुपये किलो बिक रहा है। पिछले दो-तीन दिनों में रेट अचानक बढ़ गया है। भारी बारिश के कारण कीमत में अचानक बढ़ोतरी हुई है। बारिश ने टमाटर को नष्ट कर दिया है।” दिल्ली, एएनआई के हवाले से कहा गया है। इस बीच दिल्ली के आजादपुर थोक बाजार के टमाटर व्यापारी अशोक गनोर ने कहा कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों से टमाटर की आपूर्ति कम हो गई है। इकोनॉमिक टाइम्स ने गनोर के हवाले से कहा, “हाल ही में हुई बारिश के दौरान जमीन पर मौजूद टमाटर के पौधे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। केवल तारों के सहारे लंबवत बढ़ने वाले पौधों को बचाया गया है। हम अब बेंगलुरु से टमाटर ले रहे हैं।”

कानपुर बाजार में सब्जी विक्रेता लक्ष्मी देवी ने कहा, “बारिश के कारण कीमतों में वृद्धि हुई है। टमाटर बेंगलुरु से आ रहे हैं। 10 दिनों के भीतर इसमें और वृद्धि होगी। हर साल इस महीने के दौरान टमाटर की कीमतें आम तौर पर बढ़ जाती हैं।”

टमाटर पर विशेषज्ञ की राय

मुंबई स्थित कमोडिटी बाजार विशेषज्ञ और केडिया एडवाइजरी के प्रमुख अजय केडिया ने कहा, “इस साल, कई कारणों से, पिछले वर्षों की तुलना में कम टमाटर बोए गए थे। पिछले साल बीन्स की कीमत बढ़ने के कारण, कई किसानों ने इसकी खेती करना शुरू कर दिया।” इस वर्ष फलियाँ। हालाँकि, मानसूनी बारिश की कमी के कारण फसलें सूख गईं और मुरझा गईं। सब्जियों, विशेष रूप से टमाटर की सीमित आपूर्ति भारी वर्षा और अत्यधिक गर्मी के कारण फसल को हुए नुकसान के कारण है।”

आगे भी बढ़ेंगे टमाटर के दाम

सब्जी विक्रेताओं ने कहा कि कीमतें केवल 10 दिनों में बढ़ी हैं और आगे भी बढ़ने की संभावना है। कानपुर के एक व्यापारी ने एएनआई को बताया कि आने वाले दिनों में टमाटर की कीमतें 150 रुपये प्रति किलो तक बढ़ सकती हैं। हालांकि, इकोनॉमिक टाइम्स ने बताया कि यह जरूरी नहीं है कि आने वाले हफ्तों में ऊंची कीमतें जारी रहेंगी। इसमें गनोर के हवाले से कहा गया है कि कीमतें “नीचे आ सकती हैं क्योंकि कई नई जगहों से कटाई जल्द ही शुरू होगी”। हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर हिमाचल प्रदेश और अन्य उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश जारी रही तो कीमतें मजबूत रह सकती हैं। टमाटर व रही सब्जियों के मूल्य वृद्धि से भोजनालयों और रेस्तरां के भोजन मेनू पर कीमतों पर असर पड़ने की उम्मीद है।

टमटार महंगा तो आलू-प्याज सस्ता

प्याज और आलू को छोड़कर बाकी ज्यादातर सब्जियां सामान्य से ऊंचे दाम पर बिक रही हैं. एक किलोग्राम बीन्स की कीमतें 120-140 रुपये के बीच हैं, गाजर की कुछ किस्में 100 रुपये में बेची जा रही हैं, और शिमला मिर्च प्रति किलोग्राम 80 रुपये के स्तर को पार कर गई है। इस बीच अंडे की कीमत भी बढ़ गई है – एक अंडा 5-6 रुपये से बढ़कर 7-8 रुपये की रेंज में बेचा जा रहा है।

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