बरसाना में लट्ठमार होली आज, CM योगी पहुंचे मथुरा

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बरसाना में आज विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली खेली जाएगी। इस पारंपरिक उत्सव में शामिल होने के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी मथुरा पहुंच गए हैं। इस दौरान CM योगी ने कृष्ण जन्मभूमि का भी भ्रमण किया। उन्होंने जनता को सम्बोधित करते हुए कहा कि, ‘हम अपने धार्मिक स्थलों को वर्ल्ड क्लास बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे दुनियाभर के पर्यटकों यहां आएं।

उन्होंने यह भी कहा कि वे भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर आते रहेंगे।’ इससे पहले कल रसराज पण्डित जसराज के मोहक गायन से ब्रज की होली के प्रतीक ब्रज रसोत्सव की शुरुआत हुई। पंडित ने अपने शिष्यमण्डल और साथी कलाकारों के साथ होली के गीतों से जनता को ओत-प्रोत कर दिया था। इस समारोह के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उपस्थिति दर्ज कराई थी और लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि रसोत्सव की जगह यमुना के विश्रामघाट से बदलकर वेटनरी यूनिवर्सिटी ग्राउंड करने को लेकर उन्हें भी अफसोस है।

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मौके पर मौजूद हेमा मालिनी ने कहा था कि, ‘कृष्ण ने पूरे भारत को जोड़ा है। पंडित जसराज जी ने भी कृष्ण को गाकर भारत की सांस्कृतिक एकता मज़बूत की है।’ मस्ती से भरे इस त्योहार को ब्रज भूमि में मनाने की बात ही अलग है।

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ब्रजवासी भी अपने इस त्योहार को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। लठ्ठमार होली केवल आनंद के लिए ही नहीं बल्कि यह नारी सशक्तीकरण का भी प्रतीक है। श्रीकृष्ण महिलाओं का सम्मान करते थे और मुसीबत के समय में हमेशा उनकी मदद करते थे। लठ्ठमार होली में श्रीकृष्ण के उसी संदेश को प्रदर्शित किया जाता है।

आखिर क्यों मनाते हैं बरसाना में लठ्ठमार होली?

थोड़े से चुलबुले अंदाज में महिलाएं लठ्ठमार होली में अपनी ताकत का प्रदर्शन करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने दोस्तों के साथ राधा से होली खेलने के लिए बरसाना आया करते थे। लेकिन राधा जी अपनी सहेलियों के साथ बांस की लाठियों से उन्हें दौड़ाती थीं।

तभी से लठ्ठमार होली बरसाना की परंपरा बन गई। बरसाना में होली के बाद अगले दिन नंदगांव का नंबर आता है। बरसाना के पुरुष नंदगांव की महिलाओं के साथ रंग खेलने पहुंचते हं लेकिन उनके साथ लिया जाता है मीठा सा बदला। महिलाएं उन्हें लाठियों से मारती हैं। रंग, गुलाल, मिठाई और उल्लास में सराबोर हुई भीड़। महिलाएं मारती हैं लठ्ठ और गांव के सारे कन्हैया खुद को बचाते हुए उन्हें रंग लगाने की फिराक में रहते हैं। इस वक्त यहां की फिज़ाओं में उड़ता है रंग, गुलाल के साथ बचपना, आनंद।

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