सावन का पहला सोमवार आज, महाकालेश्वर मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़…
सावन का आज पहला सोमवार है. महाकाल मंदिर में सुबह से भक्तों की भीड़ उमड़ी है. सावन माह में बाबा महाकालेश्वर के दर्शन करने देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी भक्त धार्मिक नगरी उज्जैन पहुंचते हैं. इसी को देखते हुए प्रशासन ने अलग तरह की व्यवस्था ही की हुई है. दर्शनार्थियों को किसी तरह की कोई भी दिक्कत का सामना ना करना पड़े, इसको लेकर भी मंदिर प्रबंधन अलर्ट नजर आ रहा है. कुल मिलाकर देखा जाए तो भगवान शिव के भक्तों में सावन माह को लेकर अलग उत्साह नजर आ रहा है. श्रद्धालु भगवान महाकाल की पूजा अर्चना कर रहे हैं. इसके साथ ही मंदिर प्रबंधन की तरफ से विशेष व्यवस्था की गई है. भस्माआरती के दौरान महाकाल का भव्य श्रृंगार किया गया है. इसके बाद उनकी आरती की गई है. वहीं, शाम को महाकाल की शाही सवारी भी निकलेगी. सावन के पावन महीने में महाकाल से आशीर्वाद लेने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
राजा के रूप में पूजे जाते है भगवान…
दरअसल पूरे देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में सिर्फ महाकाल का मंदिर ही है जहां भगवान राजा के रूप में पूजे जाते हैं. आरती करने वाले मंदिर के अंदर ही वस्त्र पहनते हैं. मुख्य द्वार का ताला खोलने से पहले जल से शुद्ध किया जाता है. पहले वीरभद्र को स्नान कराया जाता है. पहली घंटी बजाकर अंदर आने की आज्ञा ली जाती है. घंटी बजाने का मतलब है महाकाल भगवान को जगाना. पुजारियों के मंदिर में प्रवेश से पहले भगवान को सचेत करना. इसके बाद चांदी द्वार पर भगवान गणेश की पूजा करने के बाद गर्भगृह में स्थित माता पार्वती. गणेश और कार्तिकेय भगवान का पूजन अभिषेक किया जाता है।
भगवान शिव के निराकार रूप में दर्शन…
मान्यता है कि भगवान महाकाल के कई रूप हैं. कभी वे निराकर, तो कभी साकार होते हैं. कभी राजा हैं, तो कभी अर्द्धनारीश्वर होते हैं. भगवान शिव को अलग-अलग रूप बदलते हुए सिर्फ उज्जैन के महाकाल मंदिर में देखा जा सकता है. दरअसल, महाकाल मंदिर के पट खुलने से लेकर भस्म रमाने तक भगवान निराकार रूप में दर्शन देते हैं। इसके बाद बाबा महाकाल का रूप बदलता है। फिर एक राजा की तरह भगवान महाकाल का शृंगार किया जाता है। भस्म रमाने के बाद पंडे पुजारी महाकाल को आभूषण, रुद्राक्ष की माला, मुण्डमाल, बेल पत्र, शेषनाग का रजत मुकुट सहित फल मिष्ठान का भोग लगाकर उन्हें साकार रूप में शृंगारित कर देते हैं।
आरती के समय घूघट में रहती है महिलाएं…
बता दे कि भस्म आरती के दौरान शिव से शंकर बनने की प्रक्रिया में भगवान दिगंबर रूप में रहते हैं, इसलिए भगवान के सामने मर्यादा का पालन करते हुए महिलाओं को भस्म अर्पित करने के दौरान घूंघट की आड़ लेने के लिए कहा जाता है। भस्म चढ़ने के बाद भगवान फिर साकार रूप में आ जाते हैं यानी शंकर बन जाते हैं। तब घूंघट हटाने को कहा जाता है। इसके बाद आरती होती है।
कंकू व तूलसी से करते है पुजा…
एक मात्र महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को शिव व विष्णु का संयुक्त प्रतीक माना जाता है. इन्हें विष्णु तुल्य भी माना जाता है, इसीलिए यहां रोली (कंकु) व तुलसी भी चढ़ाई जाती है. अन्य किसी भी शिवलिंग को रोली व तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है. इसलिए महाकाल का अभिषेक मंदिर परिसर में बने कोटि तीर्थ के जल से किया जाता है. यह परंपरा महाकाल मंदिर में रोजाना भस्म आरती में शामिल होने वाली महिलाएं ही निभाती है इसी जल को हरिओम जल कहा जाता है।
मंदिर में विशेष तैयारी…
सावन माह को देखते हुए मंदिर प्रबंधन समिति ने बाबा महाकालेश्वर मंदिर में विशेष साज-सज्जा की हुई है. साथ ही मंदिर में वह सभी व्यवस्थाएं की गई है. जिसके चलते दर्शनार्थियों को बाबा महाकाल के सुगम दर्शन प्राप्त हो सके. सावन माह से पहले ही मंदिर परिसर में साफ-सफाई और रंग रोगन का कार्य भी संपन्न कर लिया गया था. साथ ही सोमवार को निकलने वाली बाबा महाकाल की पहली सवारी को लेकर भी तैयारियां पूरी कर ली गई है।
हाल जानने निकलेंगे महाकाल…
सावन और भादौ मास के प्रत्येक सोमवार को बाबा महाकाल नगर भ्रमण पर निकलते हैं, जहां वे अपनी प्रजा का हाल जानते हैं. चांदी की पालकी में सवार होकर जैसे ही बाबा महाकाल मंदिर परिसर से बाहर निकलते हैं, वैसे ही श्रद्धालुओं में अलग उत्साह देखने मिलता है. यही कारण है कि, बाबा महाकाल की सवारी के दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दूर से धार्मिक नगरी उज्जैन पहुंचते हैं।
सावन में सोमवार व्रत का महत्व…
मान्यता है कि इस महीने में हर सोमवार के दिन शंकर भगवान की पूजा करने से व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है. एक पौराणिक मान्यता है कि सावन मास के व्रत करने से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. सावन के महीने में किया गया दान पुण्य और पूजन समस्त ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के सामान फल देने वाला माना जाता है.सावन सोमवार व्रत कुल वृद्धि, लक्ष्मी प्राप्ति और सुख सम्मान देने वाले होते हैं. इन दिनों में भगवान शिव की पूजा बेलपत्र से की जाती है, कहा जाता है कि बेलपत्र से पूजा करने से शिव जी भक्त की कामना जल्दी सुन लेते हैं.
सावन सोमवार की पूजा सामग्री
सावन सोमवार में शिव पूजा के लिए विशेष पूजन सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए कच्चा दूध, गंगाजल, दही, घी, शहद, भांग, धतूरा, शक्कर, केसर, चंदन, बेलपत्र, अक्षत, भस्म, रुद्राक्ष, शमी पत्र, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, फल, कपूर, धूप, दीप, शिव के प्रिय फूल (हरसिंगार, आक, कनेर), इत्र, पंचमेवा, काला तिल, सोमवार व्रत कथा पुस्तक एकत्रित कर लें.
कैसे करे सावन में शिव की पूजा…
- सावन सोमवार के दिन सुबह जल्द उठकर नहा-धोकर साफ सुथरे कपड़े पहने और फिर व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद अब घर के पूजा घर या हो सके तो आसपास के किसी मंदिर में जाएं और वहां भगवान शिव के साथ ही देवी पार्वती और नंदीमहाराज को जल अर्पित करें।
- शिवलिंग पर पंचामृत से रुद्राभिषेक करें और बेलपत्र अर्पित करें। इसके साथ ही शिवलिंग पर धतूरा, भांग, आलू, चंदन चावल भी चढ़ाएं।
- भगवान शिव मां पार्वती और गणेश जी की पूजा करें और भगवान शिव के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें और आखिर में आरती करते भगवान को उनका पसंदीदा भोग लगाएं।
शिवजी के चमत्कारी मंत्रों का करें जाप…
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे. सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:
ॐ नम: शिवाय।
सावन में सोमवार की तिथियां…
- सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई
- सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
- सावन का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई (अधिकमास)
- सावन का चौथा सोमवार: 31 जुलाई (अधिकमास)
- सावन का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त (अधिकमास)
- सावन का छठा सोमवार:14 अगस्त (अधिकमास)
- सावन का सातवां सोमवार: 21 अगस्त
- सावन का आठवां सोमवार: 28 अगस्त
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