#HappyBirthDayPM : पीएम मोदी की इच्छा जो अधूरी रह गई

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आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्‍मदिन(birthday) है। एक साधारण से परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने जिंदगी की किन-किन चुनौतियों का सामना करते हुए प्रधानमंत्री बनने तक का सफर किया है, ये आज हम जानेंगे।

हम आपको बता रहे हैं मोदी के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो आपको भी एक अच्‍छा नागरिक बनने के लिए प्रेरित करेंगी…

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17 सितंबर, 1950 को वडनगर में पिता दामोदरदास मूलचंद मोदी और मां हीराबेन मोदी के घर जन्‍म लेने वाले मोदी अपने 5 भाई-बहनों के साथ छोटे से घर (40 feet by 12 feet) में रहते थे। उनका जन्‍म एक मोध-घांची-तेली नामक समुदाय से ताल्‍लुक रखने वाले घर में हुआ था। जिसे संविधान में अन्‍य पिछड़ी जाति का दर्जा प्राप्‍त है।

भाग्‍य ने तो उनके लिए कुछ और ही लिख रखा था

बचपन में उनका ख्‍वाब भारतीय सेना में जाकर देश की सेवा करने का था। वह अपने घर से नजदीक जामनगर के सैन्‍य स्‍कूल में दाखिला लेना चाहते थे, लेकिन जब स्‍कूल की फीस भरने की बारी आई तो उनके पिता उतना पैसा नहीं जुटा सके। एक बच्‍चे के तौर पर उस वक्‍त मोदी निराश जरूर हुए होंगे, लेकिन भाग्‍य ने तो उनके लिए कुछ और ही लिख रखा था।

सैन्‍य स्‍कूल में दाखिला तो नहीं मिल सका। फिर अपने पिता के साथ वडनगर रेलवे स्‍टेशन पर चाय बेचने में वह उनका हाथ बंटाने लगे।

उनकी सोच अन्‍य युवाओं के जैसी नहीं थी…

कम उम्र में ही उनका झुकाव संन्‍यास की ओर बढ़ने लगा। उन्‍होंने नमक, मिर्च, तेल और गुड़ खाना छोड़ दिया। संन्‍यास में रुचि बढ़ती ही गई और वह स्‍वामी विवेकानंद के दिखाए आध्‍यात्‍म के मार्ग पर चलने लगे। उनकी सोच अन्‍य युवाओं के जैसी नहीं थी, जिनका करियर स्‍कूल की कक्षा से शुरू होता है और ऑफिस पर जाकर खत्‍म हो जाता है।

बाकी बच्‍चों की तरह मोदी का ध्‍यान केवल क्‍लास के होमवर्क और स्‍कूल की परीक्षाओं पर नहीं था। उनकी रुचि तो परिचर्चा करने और किताबें पढ़ने में थी। बचपन में ही उनकी बातें लोगों को प्रभावित करने लगी थीं। मोदी घंटों स्‍कूल की लाइब्रेरी किताबें पढ़ने में बिता दिया करते थे।

1973 में मोदी ने नवनिर्माण आंदोलन में हिस्‍सा लिया। इस आंदोलन ने कांग्रेस की सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई। इसी आंदोलन में उन्‍हें जयप्रकाश नारायण के करीब आने का मौका मिला। जेपी उन दिनों भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आंदोलन चला रहे थे।

जब 9 साल के थे तो तापी नदी में बाढ़ आ गई थी…

इमरजेंसी के वक्‍त जॉर्ज फर्नांडीज ने कांग्रेस की खिलाफत करने के लिए हथियार उठाने का प्रस्‍ताव दिया था, लेकिन मोदी ने उस वक्‍त अहिंसा का साथ दिया और फर्नांडीज को मना कर दिया।मोदी कहते हैं कि उनके पास फिल्‍में देखने का वक्‍त नहीं है, लेकिन उनके पसंदीदा ऐक्‍टर देवानंद हैं।बताया जाता है कि मोदी जब 9 साल के थे तो तापी नदी में बाढ़ आ गई थी। तब इन नन्‍हे हाथों ने अपने दोस्‍तों के साथ मिलकर लोगों तक खाना पहुंचाने का काम किया था। इतना ही नहीं पाकिस्‍तान के साथ युद्ध के वक्‍त मोदी रेलवे स्‍टेशन पर सेना के जवानों को चाय दे रहे थे। साभार

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