B’Day special : बचपन से ही फौजी बनना चाहते थे धोनी

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आज भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज खिलाड़ी और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 37 साल के हो गए हैं। धोनी वनडे और टी20 की कप्तानी छोड़ चुके हैं और क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद की योजना भी बना रखी है।

धोनी की गिनती इंटेलिजेंट बच्चों में नहीं होती थी

धोनी ने टीम इंडिया को क्रिकेट के हर फॉरमेट में बुलंदियों तक पहुंचाया, लेकिन क्या आप जानते हैं धोनी पहले फुटबॉल के खिलाड़ी थे। साथ ही पढ़ाई में भी धोनी की गिनती इंटेलिजेंट बच्चों में नहीं होती थी।

धोनी ने श्यामली के रांची जवाहर विद्या मंदिर से 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद रांची के ही गोस्सनर कॉलेज से कॉमर्स में इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन क्रिकेट में करियर बनाने के चलते वह आगे की पढाई नहीं कर पाए।

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आठ साल बाद उन्होंने साल 2008 में रांची स्थित सेंट जेवियर्स कॉलेज में वोकेशनल स्टडीज के तहत ऑफिस एडमिनिस्ट्रेशन एंड सेक्रेटेरियल प्रैक्टिस कोर्स में बैचलर की डिग्री पाने के लिए (पाठ्यक्रम 2008-2011) दाखिला लिया था, लेकिन क्रिकेट में अति व्यस्तता की वजह से वो छह में से एक भी सीमेस्टर पास नहीं कर पाए। एक बार उन्होंने छात्र-छात्राओं से मुलाकात के दौरान कहा था कि वे पढ़ाई में अच्छे नहीं थे।

आर्मी में नवंबर 2011 में लेफ्टिनेंट कर्नल का रैंक दी गई थी

उन्हें दसवीं में 66 और बारहवीं में 56 प्रतिशत अंक हासिल हुए थे। धोनी ने बताया कि उन्होंने ग्‍यारहवीं में पहली बार क्लास बंक की थी। साथ ही वे बोर्ड परीक्षा में भी रांची से बाहर क्रिकेट खेलने जाते थे। एमएस धोनी टीम इंडिया का वो सितारा है, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को बहुत कुछ दिया है। धोनी जितने अच्छे खिलाड़ी हैं वो उतने ही अच्छे और शांत स्वाभाव के इंसान भी है। भारतीय क्रिकेट में 13 सालों का उनका अब तक का सफर बेमिसाल रहा है। धोनी को इंडियन टेरिटोरियल आर्मी में नवंबर 2011 में लेफ्टिनेंट कर्नल का रैंक दी गई थी।

जिसके बाद उन्‍होंने कहा था कि वे भविष्‍य में ये जिम्‍मेदारी निभाने को पूरी तरह से तैयार हैं। इसके जरिए उनका आर्मी में काम करने का सपना पूरा होगा। धोनी ने टीम इंडिया को क्रिकेट के हर फॉरमेट में बुलंदियों तक पहुंचाया। लेकिन रांची का ये लड़का क्रिकेटर नहीं, कुछ और बनना चाहता था। धोनी ने एक इंटरव्‍यू में कहा था कि वह बचपन से ही फौजी बनना चाहते थे। वो रांची के कैंट एरिया में अक्सर घूमने चले जाते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था, वो फौज के अफसर नहीं बन पाए और क्रिकेटर बन गए।साभार

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