नर्क’ है इन मजदूरों की जिंदगी, जीने के लिए मौत से लगाते हैं शर्त
आज 1 मई यानी मजदूर दिवस है इस मई दिवस भी कहा जाता है, जो पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इसी मौके पर हम आपको दिखा रहे हैं भारत में काम करने वाले कोयला मजदूरों की ऐसी जिंदगी जो नर्क से कम नहीं है।
मजदूरों की लाइफ को नजदीक से देखा
इन फोटोज को कैप्चर किया था मुंबई में जन्में डॉक्युमेंट्री फोटोग्राफर सौवित दत्ता ने। उन्होंने दो साल तक झारखण्ड के झरिया की कोयला खदानों में जाकर वहां काम करने वाले मजदूरों की लाइफ को नजदीक से देखा।
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– सौविड ने कहा, भारत की इंडस्ट्रियल ग्रोथ में इस जगह का काफी अहम रोल है। लेकिन यहां के मजदूरों की जिंदगी नर्क से कम नहीं है।
सालों से धधक रही है जमीन
झरिया की जमीन के अंदर कई सालों से कोयला जल रहा है। ऐसे में धुंए के बीच काम करने की वजह से कई मजदूरों के फेफड़े खराब हो चुके हैं। खदानों से रिसने वाले हानिकारक गैसों के प्रभाव में आकर कई लोगों को टीबी और फेफड़ों की गंभीर बीमारी होती हैं। अंत में इनकी मौत भी हो जाती है। वैसे तो इनमें से ज्यादातर खदान BCCL ( Bharat Coking Coal Limited )और CIL ( Coal Industry Limited ) के कंट्रोल में है, लेकिन कई जगहों पर कोयला माफियाओं का राज आज भी चलता है। कोयला माफिया बच्चों को काम कीमत देकर इस जानलेवा काम में शामिल करते हैं।
जीने के मौत को गले लगा रहे लोग
इन क्षेत्रों में रोजी-रोटी की तलाश में लगे लोगों के लिए कोयला मजदूर बनना बेहद आसान काम है। पेट पालने के लिए लोग अपनी जान दांव पर लगाकर यहां काम करते हैं।
दैनिक भास्कर
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