कल्याण के गढ़ में जनता किसे सौंपेगी जीत की चाबी

0

उत्तर में गंगा और पश्चिम के किनारे को छूकर कल- कल बहती यमुना के बीच ताले और तालीम के लिए विख्यात अलीगढ़ में अब लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ चुकी हैं. ऐसे में अलीगढ़ में सवाल यही है कि आखिर कौन बनेगा सांसद? कल्याण के गढ़ में जनता किसे सौंपेगी संसद जाने के लिए ‘जीत की चाबी’.

दूसरे चरण के लिए महज अब चार दिन का समय बचा हुए है. वहीं, इसके लिए सियासी हलचल भी तेज हो गई है. राजनीतिक पार्टियां बेहतर प्रदर्शन करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है. ऐसे में आपको हम बताने जा रहे हैं जर्नलिस्ट कैफे के खास शो ‘सीट का समीकरण’ में अलीगढ लोकसभा सीट के बारे में…

1952 में बनी सीट….

बता दें कि अलीगढ लोकसभा सीट पहली बार 1952 में अस्तित्व में आई थी. और यहाँ से पहली बार कांग्रेस के चाँद सिंघल ने चुनाव जीता था.

जातिगत समीकरण

अलीगढ़ कल्याण सिंह की धरती की वजह से जानी जाती है. यहाँ पर ब्राह्मण के साथ ही राजपूत वोटर्स की भी अच्छी खासी संख्या है. खास बात यह है कि यहाँ जातिगत समीकरण ज्यादा काम नहीं करते हैं. .
जिले में 20 फीसदी मुस्लिम आबादी, 80 फीसदी आबादी है. तब यहां मुसलमानों की संख्या करीब 4.5 लाख थी. जबकि लोध वोटर्स की संख्या करीब 2.5 लाख रही थी. जाट वोटर्स भी यहां मजबूत स्थिति में हैं.

24 को वाराणसी आ सकते हैं गृहमंत्री अमित शाह, करेंगे केंद्रीय कार्यालय का उद्घाटन

1991 के बाद से BJP का गढ़

अलीगढ़ संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास को देखें तो मुस्लिम क्षेत्र वाले इस सीट पर अब तक एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को जीत नहीं मिल सकी है. बड़ी बात यह है कि 1991 के बाद से अब तक हुए 8 चुनाव में 6 बार बीजेपी को जीत मिल चुकी है. अलीगढ़ सीट पर 1952 और 1957 के चुनाव में कांग्रेस को बड़े अंतर से जीत मिली थी.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More