शेर को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के 4 साल बाद बाघ बना राष्ट्रीय पशु, जानिए वजह

0

29 जुलाई को हर साल अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। यह दिन खासतौर पर बाघों की लगातार कम होती आबादी पर नियंत्रण करने के लिए विश्व स्तर पर घोषित किया गया है। इसे 2010 में रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर शिखर सम्मेलन। इस दिन का लक्ष्य बाघों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिए एक वैश्विक प्रणाली को बढ़ावा देनाऔर बाघ संरक्षण के मुद्दों के लिए सार्वजनिक जागरूकता और समर्थन बढ़ाना है। भारत के लिए यह दिन और भी खास है, क्योंकि बाघ न सिर्फ भारत का राष्ट्रीय पशु है, बल्कि दुनिया के 70% से अधिक बाघ भारत में ही पाए जाते हैं।

बाघों को समर्पित है 29 जुलाई

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस सूचना खोज के माध्यम से बाघों पर ऑनलाइन जागरूकता बढ़ाने में प्रभावी साबित हुआ है। इसलिए हर साल विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने के लिए वन्य जीव बोर्ड ने घोषणा की थी। जिसे अब विश्व हर 29 जुलाई को मनाता है।  लावण्‍यता, ताकत, फुर्तीलापन और अपार शक्ति के कारण बाघ को भारत के राष्‍ट्रीय जानवर के रूप में गौरवान्वित किया है। ज्ञात आठ किस्‍मों की प्रजाति में से शाही बंगाल टाइगर (बाघ) उत्‍तर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर देश भर में पाया जाता है और पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है, जैसे नेपाल, भूटान और बांग्‍लादेश।

बाघों को कब मिली राष्ट्रीय पहचान

बंगाल टाइगर (बाघ की एक प्रजाति) भारत का राष्ट्रीय पशु है। इसे आज से ठीक 46 साल पहले 18 नवंबर 1972 को भारत का राष्ट्रीय पशु चुना गया था। भारतीय वन्यजीव बोर्ड द्वारा भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था। भारत में बाघों की सुरक्षा के लिए प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत के साथ अप्रैल 1973 में बंगाल टाइगर को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था।

पहले शेर था राष्ट्रीय पशु

बहुत कम लोग जानते हैं कि बाघ से पहले शेर भारत का राष्ट्रीय पशु था। मौजूदा समय में देश का राष्ट्रीय पशु बाघ है, लेकिन वन्यजीव बोर्ड ने 1969 में शेर को देश का राष्ट्रीय पशु घोषित किया था। बाद में साल 1973 में बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित कर दिया गया। संरक्षण के अभाव में बाघ से मिलने वाले लाभ से भी हमें वंचित रहना पड़ रहा है। भारत में भारतीय वन्य जीवन बोर्ड द्वारा 1972 में शेर के स्थान पर बाघ को भारत के राष्ट्रीय पशु के रूप में अपनाया गया था। देश के बड़े हिस्सों में इसकी मौजूदगी के कारण ही इसे भारत के राष्ट्रीय पशु के रूप में चुना गया था।

नेहरू ने शेर को चुना था राष्ट्रीय पशु

भारत में बाघ से पहले शेर को राष्ट्रीय पशु चुने जाने के पीछे भी एक किस्सा है। साल 1948 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एशियाई शेर को राष्ट्रीय पशु घोषित कर दिया था। बताया जाता है कि गुजरात नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के एक ठोस अभियान ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को एशियाई शेर को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए मजबूर किया था। लेकिन 1972 में भारतीय वन्यजीव बोर्ड की एक बैठक में बंगाल टाइगर को राष्ट्रीय पशु के रूप में अपनाया गया।

वन्य बोर्ड ने शेर की जगह बाघ को चुना

भारतीय वन्यजीव बोर्ड ने शेर को राष्ट्रीय पशु हटाते हुए बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित कर दिया था। जिसके पीछे वन्य बोर्ड ने बाघों  की गिरती हुई संख्या को आधार दिया था। भारतीय वन्यजीव बोर्ड ने देश में बाघों की संख्या में नियंत्रण रखने के उद्देश्य से ही बाघ को राष्ट्रीय पशु चुना था। हालांकि ऐसा इसलिए भी किया गया कि क्योंकि बाघ केवल भारत में ही पाया जाने वाला पशु है। भारत में बाघ अधिक संख्या में पाए जाते हैं।

Also Read : भाजपा के चक्रव्यूह में फंसी सपा, एनडीए में शामिल होंगे दो और सपा विधायक

 

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More