काशी से संस्कृत की शिक्षा देश के कोने-कोने तक विस्तार ले रही है. विभिन्न शिक्षण संस्थाओं से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वाविद्यालय का अनुबंध हो रहा है. इसी क्रम में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय व कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय रामटेक, नागपुर महाराष्ट्र के बीच सोमवार को शैक्षणिक समझौते पर हस्ताक्षर कर तीन वर्षों के लिये एमओयू किया गया.
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दोनों संस्कृत विश्वविद्यालयों के कुलपति प्रो.बिहारी लाल शर्मा व प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने शैक्षणिक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये. कहा कि केकेएसयू, रामटेक संस्कृत की उन्नत शिक्षा के लिए समर्पित एक संस्थान है. विश्वविद्यालय में नियमित पाठ्यक्रम कार्य प्रदान करने के साथ-साथ केकेएसयू प्रकृति में अद्वितीय है जो संस्कृत भाषा के लिए आधुनिक दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करता है. पारंपरिक संस्कृत को संरक्षित करने के अलावा यह प्राचीन भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अध्ययन पर जोर देता है. वैदिक ज्ञान और विज्ञान का परस्पर संबंध जोड़कर एक नवीन अन्वेषण तक पंहुचने का सरल मार्ग मिलेगा. एमओयू का उद्देश्य प्रशिक्षण कार्यक्रम, छात्र और संकाय विनिमय कार्यक्रम, कौशल विकास कार्यक्रम, पारस्परिक रूप से अल्पकालिक पाठ्यक्रम संचालित करना, पांडुलिपियों का अध्ययन और संपादन, अनुवाद कार्य, संयुक्त अनुसंधान, साइट का दौरा और ऐसे सभी कार्यक्रमों का विकास करना है. इस सहयोग का लक्ष्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी-2020) के लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करना और आपसी क्षमताओं का लाभ उठाकर तेजी से बढ़ती शैक्षिक आवश्यकता को पूरा करना है. कुलपति ने बताया कि दोनों संस्थाओं के साथ जुड़कर कार्यशाला, सेमिनार, संगोष्ठी एवं विभिन्न तरह के विषय विशेषज्ञों के साथ जुड़कर नवाचार करना और विभिन्न प्रकार के सम्मेलन को साझा किया जाना है. इसके तहत दोनों संस्कृत संस्थानों के करार से देवभाषा संस्कृत का चतुर्दिक विकास और प्रसार होगा.
देश के अन्य विश्वविद्यालय भी हो रहे लाभान्वित
केकेएसयू नागपुर के कुलपति प्रो.हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि काशी में स्थित यह संस्था सम्पूर्ण विश्व को 234 वर्षों से अनवरत प्राच्यविद्या के अंदर निहित ज्ञान राशि को जनसुलभ करा रहा है. इससे जुड़कर पूरे देश में 18 अन्य संस्कृत विश्वविद्यालय लाभान्वित हो रहे हैं. सरस्वती भवन पुस्तकालय में संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियों के माध्यम से अध्यापकों और विद्यार्थियों को अनेकों लाभ प्राप्त होगा. सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के जन सम्पर्क अधिकारी शिशेन्द्र मिश्र ने बताया कि यह एमओयू संस्कृत शिक्षा के विकास में लाभदायक साबित होगा.