बागी हुए महबूबा के तीन विधायक, पार्टी छोड़ने का किया ऐलान

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जम्‍मू-कश्‍मीर में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्‍व वाली सरकार के सत्‍ता से बेदखल होने के 15 दिन के अंदर ही पीपुल्‍स डेमोक्रैटिक पार्टी की चीफ को एक और संकट से गुजरना पड़ रहा है। सोमवार को पीडीपी के तीन एमएलए (MLAs) ने घोषणा की कि वे पार्टी छोड़ रहे हैं।

विद्रोह का बिगुल उन्‍हीं की सरकार में मंत्री रहे इमरान रजा ने बजाया

इन विधायकों ने ऐसे समय पर पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है जब ऐसी रिपोर्टें आ रही हैं कि राज्‍य में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी महबूबा मुफ्ती को अपना समर्थन दे सकती है। हालांकि कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से इसका खंडन किया है। महबूबा मुफ्ती के खिलाफ विद्रोह का बिगुल उन्‍हीं की सरकार में मंत्री रहे इमरान रजा ने बजाया।

इमरान ने महबूबा मुफ्ती पर निशाना साधते हुए उन पर पर पार्टी और पूर्व पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार में भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया। इमरान ने कहा, ‘महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी को न केवल पार्टी के रूप में नाकाम किया बल्कि अपने दिवंगत पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के उन सपनों को तोड़ दिया जो उन्होंने देखे थे।’’

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एक दिन पहले ही रजा के चाचा और पीडीपी विधायक आबिद अंसारी ने भी इसी तरह के आरोप लगाए थे। उन्‍होंने कहा कि वह पार्टी छोड़ रहे हैं क्‍योंकि कुछ अक्षम नेताओं ने पार्टी को हाईजैक कर लिया है जो अस्‍वीकार्य है।’ उधर, राजा ने कहा, ‘महबूबा की अक्षमता उनकी व्‍यवस्‍था को बर्बाद कर रही है। महबूबा ने न केवल पीडीपी को फेल किया बल्कि अपने पिता मुफ्ती मोहम्‍मद सईद की आशाओं पर आघात पहुंचाया है।’ मजेदार बात यह है कि अंसारी ने बीजेपी का पूरा समर्थन किया है और कहा कि उसके प्रयास से राज्‍य में विकास कार्यों के लिए बड़ी मात्रा में पैसा जारी हुआ है।

राज्य के अपने महत्वपूर्ण नेताओं के साथ एक मीटिंग की

उधर, जम्मू कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी सरकार गिरने के बाद राज्य को लेकर सियासी हलचलें तेज हो गई हैं। जहां एक ओर महबूबा मुफ्ती वहां किसी तरह से सरकार बहाल कर राज्यपाल शासन खत्म करने की कोशिश में हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने वहां के सियासी हालात को लेकर सोमवार को नई दिल्‍ली में अपने सीनियर नेताओं और राज्य के अपने महत्वपूर्ण नेताओं के साथ एक मीटिंग की।

इस कमिटी के अध्यक्ष पूर्व पीएम मनमोहन सिंह हैं

कांग्रेस वहां चुनाव चाहती है, जिससे राज्य में स्थायी सरकार बन सके। मंगलवार को कांग्रेस के विधायक दल की मीटिंग श्रीनगर में है, जो वहां के हालात पर आपसी चर्चा करेंगे। चर्चा है कि पीडीपी चाहती है कि कांग्रेस उसके साथ मिलकर वहां सरकार बनाए। सोमवार को कश्मीर पर बनी कांग्रेस की प्रोग्राम कमिटी की मीटिंग हुई। इस कमिटी के अध्यक्ष पूर्व पीएम मनमोहन सिंह हैं।

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर के नेताओं संग राज्य के सियासी हालात पर चर्चा के साथ ही सरकार बनाने की संभावना पर विचार-विमर्श किया। कांग्रेस नेता अंबिका सोनी ने कहा कि हमारी मांग है कि राज्य में जल्द से जल्द चुनाव हो। पीडीपी के साथ जाकर कांग्रेस अपने पुराने सहयोगी व यूपीए के घटक दल नैशनल कॉन्फ्रेंस को भी नहीं नाराज करना चाहेगी।

आने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी कांग्रेस के लिए नैशनल कॉन्फ्रेंस का साथ ज्यादा अहम है। वहीं, महबूबा मुफ्ती पिछले दो-तीन दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हैं। चर्चा है कि वह सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकती हैं।

सरकार बनाने के लिए 4 विधायकों की जरूरत होगी

राज्य में सरकार बनाने के लिए 44 विधायकों की जरूरत है। पीडीपी के पास 28 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं। अगर सरकार बनाने की नौबत आई तो इसके बाद भी दोनों पार्टियों को राज्य में सरकार बनाने के लिए 4 विधायकों की जरूरत होगी। जो कि 3 निर्दलीय विधायक और 1-1 सीपीआईएम-जेकेडीएफ विधायक से पूरी हो सकती है।

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