व्यापारियों के लिए सबक- वोटर बने रहें कोई नहीं लूटेगा
जिन लोगों ने जीएसटी की तकलीफ़ों को लेकर आवाज़ मुखर की वो सही साबित हुए। व्यापारियों ने डर डर कर अपनी बात कही। उनके डर को हम लोगों ने आसान कर दिया। लिखा और बोला कि जीएसटी बिजनेस को बर्बाद कर रही है। लोगों से काम छिन रहे हैं। विपक्ष के मोर्चे से राहुल गांधी ने आक्रामकता से इस मुद्दे को उठाया। सरकार की तरफ से राहुल गांधी का मज़ाक उड़ाया गया।
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अंत में सरकार को वही करना पड़ा जो चुनावों में राहुल कह रहे थे और उनके कहने से बहुत पहले से मीडिया में बचे खुचे लोग कहते हुए गालियाँ सुन रहे थे। राहुल ने गब्बर सिंह टैक्स बोलकर टैग लाइन की फटीचर राजनीति का जवाब टैग लाइन से दे दिया। अहंकार में व्यापारियों को चोर तक कहा गया।
सही साबित किया!! बदले में गालियाँ मिलीं
मैंने जीएसटी को लेकर शो किया। इस पेज पर भी पोस्ट किया। जो ज़मीन पर दिखा, उसी को लिखा। सरकार ने मुझे भी सही साबित किया!! बदले में गालियाँ मिलीं। किसी ने कहा एंटी मोदी है, किसी ने कहा एंटी इंडिया है। प्रवक्ता से लेकर आई टी सेल के खलिहर सब शामिल थे। अब ये सब मूर्ख बने। मेरे ही पेज पर उन मूर्खों के सैंपल मिल जाएँगे।
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सरकार भी कई महीनों से अनसुना कर रही थी। छोटे मोटे बदलावों को लागू करती रही मगर मुख्य माँगों की तरफ ध्यान नहीं दिया। सब मान चुके हैं कि गुजरात में बीजेपी का विजय निश्चित है। उसमें कोई अगर मगर नहीं है। मैं भी मानता हूँ। फिर ऐसा क्या हुआ कि जो सरकार देश भर के व्यापारियों को नहीं सुन रही थी वो अचानक सुनने लगी? गुजरात चुनाव के बहाने ही सही डरे सहमे और बर्बाद हो रहे व्यापारियों को फायदा हुआ है।
नाम और चेहरे के साथ सामने आने से डर रहे थे
व्यापारी फ़्रंट पर आकर मुखर नहीं थे। रो रहे थे मगर बोल नहीं पा रहे थे। डर इतना घुस गया है। ऐसा इसिलए हुआ क्योंकि वे समर्थक और भक्ति में ख़ुद को ढाल कर अपनी शक्ति गँवा चुके थे। कई लोग अपने नाम और चेहरे के साथ सामने आने से डर रहे थे। उनके लिए भी एक सबक है। वे मतदाता और नागरिक बने रहें तभी उनके पास शक्ति बची रहेगी। डर का साया करीब नहीं आएगा। जैसे ही भक्त और समर्थक बनेंगे आप किसी लायक नहीं रह जाएँगे। अगर आप पहले से ही वोटर की तरह व्यवहार करते तो आपके बिजनेस को लाखों का घाटा न होता।
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वोट चाहें किसी को दें, बार बार एक को ही देते रहें मगर समर्थक बनकर भीड़ और झुंड का माहौल मत बनाए रखिए। और जो लोग बोलने का जोखिम उठाते हैं, उनका साथ दीजिए। विपक्ष की आवाज़, सवाल करने की परंपरा का साथ दीजिए, उसका बचाव कीजिए वरना मौके का लाभ उठा कर रक्षक ही भक्षक बन जाएगा। बन ही गया था।
व्यापारी भी ये महसूस करने लगे थे
गोदी मीडिया ने व्यापारियों की आवाज़ को दबाया। व्यापारी भी ये महसूस करने लगे थे। इसलिए उन सभी पत्रकारों को बधाई जिनकी जीएसटी की बर्बादी की ख़बर भले ही अंदर के पन्ने पर और कहीं कोने में छपी।
नोट : यह आर्टिकल पत्रकार रवीश कुमार के फेसबुक पेज से लिया गया है।
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