देश के वे वित्तमंत्री जो कभी पेश नहीं कर पाएं बजट…
23 जुलाई को सुबह 11 बजे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तीसरी बार सत्ता में आई मोदी सरकार का पहला बजट पेश करेंगी. संसद के मानसून सत्र की शुरूआत 22 जुलाई से की गई थी, जो 12 अगस्त तक चली . जहां मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार के तीसरे कार्यकाल का यह पहला बजट होगा, वहीं निर्मला सीतारमण एक वित्तमंत्री के तौर पर सातवीं बार बजट पेश करने जा रही हैं. इसके साथ ही निर्मला सीतारमण लगातार सात बार बजट पेश करने वाली पहली वित्तमंत्री बन जाएंगी.
लेकिन बजट का इतिहास यही तक नहीं है कि योजनाओं और वित्तीय सुविधाओं में बदलाव किए जाते हैं. इससे अलग भी देश के बजट का इतिहास काफी रोचक और दिलचस्प रहा है. ऐसे में बजट 2024 के इस मौके पर जब निर्मला सीतारमण सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड बनाने जा रही हैं, वहीं हम इस कड़ी में इतिहास के कुछ ऐसे वित्तमंत्री के बारे में बताने जा रहे हैं, जो वित्तमंत्री तो बने पद भी संभाला लेकिन वे कभी बजट पेश करने का सौभाग्य हासिल न कर सकें. तो आइए जानते हैं कौन हैं वे वित्तमंत्री…
इस वजह से आरके शेट्टी नहीं पेश कर पाएं थे बजट
वित्तमंत्री रहने के बाद भी बजट न पेश कर पाने वाले ऐसे बदकिस्मत वित्तमंत्रियों में पहला नाम वित्तमंत्री आरके शणमुखम शेट्टी का आता है, जिन्होंने पद पर रहने के बाद भी अपने कार्यकाल में कोई भी बजट पेश नहीं किया. लेकिन इतना बड़ा संयोग ऐसे ही नहीं हो गया, इसके पीछे भी एक कहानी है. बताया गया है कि साल 1948 में आरके शणमुखम शेट्टी को वित्तमंत्री बनाया गया था. उन्होंने शपथ ग्रहण कर इस पद का पदभार संभाला लेकिन 35 दिनों के बाद ही किन्हीं कारणों के चलते उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उस 35 दिन की अवधि में उन्हें बजट पेश करने का मौका नहीं मिला. यही वजह है कि वह वित्तमंत्री तो बने लेकिन बजट न पेश कर सकें.
केसी नियोगी भी नहीं पेश कर पाएं बजट
देश के दूसरे ऐसे वित्तमंत्री जो बजट पेश न कर सके की श्रेणी में शामिल हैं, आजाद भारत के दूसरे वित्तमंत्री केसी नियोगी. उन्होंने भी वित्तमंत्री का पद तो संभाला लेकिन बजट न पेश कर सके. बताया जाता है कि इन्होंने भी वित्तमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसकी वजह से ये भी बजट पेश नहीं कर पाए थे. इसके बाद जॉन मथाई देश के तीसरे वित्तमंत्री बनाए गए थे. उस वित्त वर्ष का बजट भाषण मथाई ने देने के बाद संसद में पेश किया था.
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तीसरे और अंतिम ऐसे वित्त मंत्री है हेमवती नंदन बहुगुणा
वित्तमंत्री रहने के बाद भी बजट न पेश कर पाने वाले वित्तमंत्री की लिस्ट में तीसरा और अंतिम नाम है हेमवती नंदन बहुगुणा का है. इन्होंने साढ़े पांच महीने वित्तमंत्री का पद तो संभाला लेकिन बजट पेश न कर सके. बहुगुणा को भी केसी नियोगी जैसे हालात का सामना करना पड़ा था. साल 1979 में इंदिरा गांधी की सरकार में वे वित्तमंत्री बने थे, लेकिन साढ़े पांच महीने की अवधि में बजट पेश नहीं कर सके. उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. यही वजह रही कि बहुगुणा वित्तमंत्री रहने के बाद भी बजट पेश न कर सके.