दुनियाभर में सुर्खियां बटोर रहा चीन का ये अनोखा प्रदर्शन, जानें क्या है मामला

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इन दिनों चीन में विरोध प्रदर्शन जारी है. इसी बीच वहां के लोग ब्लैंक पेज यानि सादा पन्ना लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इस विरोध को ब्लैंक पेज रेवोल्यूशन (Blank Page Revolution) का नाम दिया गया है. हालांकि, लोग इसे ‘श्वेत पत्र क्रांति’ और ‘A4 क्रांति’ भी कह रहे हैं. अब सवाल ये है कि चीन की जनता आखिर ऐसा विरोध क्यों कर रही है? तो यह जानिए ब्लैंक पेज रेवोल्यूशन की पूरी कहानी…

तेजी से बढ़ रहे चीन में कोरोना केस…


चीन में बीते कुछ दिनों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़े है और सरकार ने अपनी जीरो कोविड पॉलिसी को पूरे देश में सख्ती से लागू किया. सरकार की तरफ से उन क्षेत्रों में कड़ाई और ज्यादा देखी गई, जहां कोविड के मामले ज्यादा थे. हालांकि, सख्त प्रतिबंधों के कारण लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही थी और यही कारण है कि पूरे चीन ने बीते हफ्ते व्यापक विरोध प्रदर्शनों को अनुभव किया. शंघाई से लेकर बीजिंग और वुहान से शिंजियांग तक प्रदर्शन की आग फैल गई. जो इस वक्त पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोर रहा है.

क्यों ब्लैक पेपर लेकर किया जा रहा विरोध…


ब्लैंक A4 पेपर में कोई सिंबल, फोटो या टेक्स्ट नहीं लिखा गया. यह सत्ताधारी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की असहमति की सेंसरशिप की प्रतीकात्मक रूप से आलोचना करता है. प्रदर्शनकारियों का ऐसा भी मानना है कि सिर्फ कोरे कागज पकड़ने के लिए सरकार उनको गिरफ्तार नहीं कर सकती. यही कारण है कि वो इसका इस तरह से उपयोग कर रहे हैं. ‘ब्लैंक पेज रिवोल्यूशन’ के अलावा, लोग इसमें इस्तेमाल किए जा रहे कोरे कागज के आकार का हवाला देते हुए इसे ‘श्वेत पत्र क्रांति’ और ‘A4 क्रांति’ भी कह रहे हैं.

इस तरह से शुरू हुआ तह विरोध प्रदर्शन…


ब्लैंक पेज रिवोल्यूशन के अलावा लोग इसे वाइट पेपर रेवोल्यूशन और A4 रेवोल्यूशन भी कह रहे हैं। पर ये सब शुरु कैसे हुआ, तो चलिए ये भी जानते हैं। दरअसल पिछले महीने नवंबर में शिंजियांग के एक बिल्डिंग में आग लगने से 10 लोगों की मौत हो गई, जो करीब 100 दिनों से बंद थें। लोगों ने इस मौत का जिम्मेदार चीन में लगे लॉकडाउन और वहां की सरकार को ठहराया। तब चीनी अधिकारी ने इस घटना के लिए वहां के निवासियों को ही दोषी ठहरा दिया।

बता दें कि इससे पहले 2020 में हांगकांग में भी ये रेवोल्यूशन हुआ था। मॉस्को में भी वाइट पेपर विरोध किया गया था, जब यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध छिड़ी थी।

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