गोद में ले रोती- बिलखती रही मां… एंबुलेंस को भी नही बख्शा, मौत
अपने हक के नाम पर हिंसा फैलाने वाली भीड़ से ये मां अपने मासूम की मौत का हिसाब मांग रही है। इसके आंसुओं में अपनी औलाद को खोने का गम है तो चेहरे पर उसे खुद से जुदा करने वाली भीड़ के खिलाफ गुस्सा है। इनकी पीड़ा को महसूस करेंगे तो कलेजा फट जाएगा। जब गोद में जिगर के टुकड़े ने आखिरी सांस ली तो मानो सबकुछ उजड़ गया….हिंसा पर उतरी भीड़ के सामने कितनी लाचार और बेबस होगी ये मां।
पूरे प्रदेश में उपद्रवियों का कहर देखने को मिला
उपद्रवियों के इस शोर के आगे एंबुलेंस के सायरन की आवाज भी गुम हो गई। भीड़ ने एंबुलेंस के रास्ते में रोड़े डाल दिए। एंबुलेंस को निकलने का मौका नहीं मिला। नतीजा ये हुआ कि इस मासूम की आंखें खुलने से पहले ही बंद हो गईं। दरअसल, इस नवजात को तबीयत बिगड़ने के बाद हाजीपुर रेफर किया गया था। अपने मासूम को लेकर ये परिवार एंबुलेंस से हाजीपुर के लिए निकला लेकिन एससी-एसटी एक्ट को लेकर सड़कों पर उतरे उपद्रवियों की भीड़ ने एंबुलेंस को घेर लिया। उसका रास्ता रोक दिया गया और लाठी-डंडे भी बरसाए गए। नतीजा ये हुआ कि मासूम वक्त पर अस्पताल नहीं पहुंच सका और उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। भारत बंद के दौरान शहर-शहर उपद्रवियों का कहर देखने को मिला।
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बिहार से लेकर यूपी तक हर जगह बेगुनाह लोग इनके शिकार बने। बिहार के मुजफ्फरपुर में ऑटो सवार मां-बच्ची हिंसक भीड़ के हमले में घायल हो गए तो यूपी के मेरठ में किडनी की बीमारी से पीड़ित महिला बवाल के चक्कर में इलाज के लिए नहीं पहुंच सकी। वहीं, उत्तराखंड के रुड़की में भी एक बच्चा उपद्रवियों का शिकार बना। यहां हिंसा के दौरान एक मासूम पैर में गोली लगने से घायल हो गया। अब सवाल ये कि आखिर इन मौतों का हिसाब कौन देगा। क्या हर किसी को अपना हक पाने के लिए हाथों में हथियार उठाना पड़ेगा। क्या कमजोरों और मजलूमों की सुनने वाला कोई नहीं है।
भारत बंद के दौरान यूपी के मेरठ में भी महाभारत हुई। यहां उपद्रवियों ने कार का कोई शीशा ऐसा नहीं छोड़ा जिसे नहीं तोड़ा गया। सोचिए कार में सवार लोगों की क्या हालात हुई होगी जब हिंसक भीड़ उन पर टूट पड़ी होगी। मुजफ्फपुर औऱ मेरठ के साथ देश के कई शहरों में ऐसे हालात देखने को मिले. जब भारत बंद के दौरान हिंसा ने पूरे देश को हाईजैक कर लिया। दिल्ली-यूपी बॉर्डर के पास गाजियाबाद जिले में बंद समर्थकों ने एम्स की मेडिकल टीम पर हमला कर दिया।
सरकारी संपत्ति को हानि पहुंचाना
हमलावरों ने डॉक्टरों और नर्स को ले जा रही बस पर पथराव शुरु कर दिया। हमले के वक्त ड्राइवर कंडक्टर समेत बस में 27 लोग सवार थे। डॉक्टरों ने बताया कि भीड़ इस कदर बेकाबू थी कि उनको बार-बार बोलने पर भी कोई सुनने को तैयार नहीं था। जबकि बस पर एम्स और डॉक्टर ड्यूटी दोनों लिखा हुआ था। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना। आम लोगों को परेशान करना।
तोड़फोड़ करना आगजनी करना और कुछ ना मिले तो रेलवे को नुकसान पहुंचा। भारत बंद भी कोई अलग नहीं था। पूरे देश में रेलवे को नुकसान पहुंचाया गया। आंदोलनकारी रेलवे ट्रैक आ धमके। ट्रेन के टूटे हुए शीशे, ट्रेन के अंदर मौजूद ईट और डरे सहमे ये लोग इस ट्रेन में क्या कुछ हुआ ये बताने के लिए काफी है।
aajtak
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