काशी का यह अखाड़ा, जहां विदेशी भी फेरते हैं जोड़ी – गदा

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वाराणसी: बनारस की कई चीजें और स्थान प्रसिद्ध हैं जो लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करते हैं. हम बात कर रहे हैं काशी की. बाबा विश्वनाथ…गंगा घाट और गलियों के अलावा बनारस के अखाड़े भी दुनियाभर में फेमस हैं. इन अखाड़े में देशी पहलवानी के दांव पेंच सिखाकर पहलवानों को तैयार किया जाता है.नाग पंचमी पर इन अखाड़ों में कुश्ती दंगल की परंपरा है.जिसका आज निर्वहन हुआ.इस बार खास रहा कि इस दंगल में विदेशी भी शामिल हुए.

450 साल पुराना है गोस्वामी तुलसी दास अखाड़ा

तस्वीरें 450 साल पुराने गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा या स्वामी नाथ अखाड़े की हैं. वैसे तो इस अखाड़े में लड़कियां भी दंगल करती हैं. 7 साल पीछे की अगर बात की जाए तो यहां पर लड़कियों को आने पर प्रतिबंध था. लेकिन इस बार नाग पंचमी पर सबसे अलग ही नजारा यहां देखने को मिलेगा. नीदरलैंड के पहलवान हर्बर्ट और स्पेन के सैंटी भी इस बार अखाड़े में दंगल करते नजर आये. नाग पंचमी से पहले दोनों ही पहलवान काशी के इस अखाड़े में जोड़ी,गद्दा पर अपना जोर आजमाइश भी किया. गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा या स्वामी नाथ अखाड़े के प्रमुख विश्वम्भर नाथ मिश्र ने बताया कि इस बार नाग पंचमी पर गोस्वामी तुसली दास द्वारा स्थापित इस अखाड़े में जाने माने विदेशी पहलवानों ने भी अपने दांव पेंच को दिखाए हैं.

इजराइल के पहलवान को भाया दंगल का तरीका

इजराइल के पहलवान ने बताया कि वो भारतीय संस्कृति से जुड़े कुश्ती और दंगल का ये तरीका बेहद पंसद है. उन्हें जोड़ी-गद्दा फेरना सबसे ज्यादा पंसद है. बता दें कि 8 साल पहले पहली बार इस अखाड़े के दरवाजे को लड़कियों के लिए खोला गया था, जिसके बाद लड़कियों ने यहां प्रैक्टिस कर कुश्ती में कई नेशनल और स्टेट मेडल जीते हैं. स्वामी नाथ अखाड़े के प्रमुख विश्वम्भर नाथ मिश्र ने बताया कि इस अखाड़े के इतिहास गोस्वामी तुमसी दास से जुड़ा है. उन्होंने ही इस अखाड़े की शुरुआत की थी.आज यह अखाड़ा वाराणसी के प्रमुख अखाड़ों में से एक है.

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जहां एक तरफ गोस्वामी तुलसीदास अखाड़े में महिला पहलवान विदेशी पहलवान के साथ ही पुरुष पहलवानों ने अपना दम कम दिखाया तो वहीं रविदास पार्क के पास सैकड़ो साल पुराने जोड़ी गड़ा तथा कांटो वाली जोड़ी पर लोगों ने हाथ आजमाया. सतीश यादव उर्फ झंडू पहलवान ने बातचीत के दौरान बताया कि यह बहुत पुराना अखाड़ा है और यह मेरे दादा और पिताजी द्वारा प्रारंभ किया गया था जिसका निर्वहन आज हमारे द्वारा किया जा रहा है.

वैसे तो बनारस में बहुत ही कम लोग कांटो वाला गदा करते हैं परंतु हम आज भी कांटो वाली गदा फेरते हैं और इसका प्रदर्शन कई स्थानों पर कर चुके हैं. वैसे अखाड़े में आज विदेशी पहलवान भी पहुंचे जो अपना दम कम दिखाई वहीं लोगों ने तालियां बजाकर दमखम दिखाने वाले पहलवानों का उत्साहवर्धन किया.

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