बीएचयू ने डॉ. मनमोहन सिंह को दी थी मानद उपाधि, महामना विजन से रहे प्रेरित
आर्थिक प्रगति की नींव रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से देश को अपूर्णीय क्षति हुई है. बीएचयू के 90वें दीक्षांत समारोह में 15 मार्च 2008 को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई थी; इस समारोह में उनके साथ उनकी पत्नी गुरशरन कौर भी मौजूद रहीं. बतौर मुख्य अतिथि समारोह में शामिल होने आए डॉ. मनमोहन सिंह एक दिन पहले 14 मार्च को ही काशी आ गए थे. यहां उन्होंने बुनकरों से भी मुलाकात की थी. बीएचयू का 90वां दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय परिसर के एंफीथियेटर मैदान में 15 मार्च 2008 को हुआ था.
समारोह में विश्वविद्यालय के तत्कालीन चांसलर महाराजा कर्ण सिंह और कुलपति प्रो. पंजाब सिंह भी मंच पर उनके साथ बैठे थे. कार्यक्रम के एक दिन पूर्व यानी 14 मार्च को ही उन्होंने बुनकरों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुना था. साथ ही काशी में बुनकरी से जुड़ी जानकारी हासिल की थी. डॉ. मनमोहन सिंह ने समारोह के दौरान विश्वविद्यालय की परंपरा को महामना का विजन बताया था; कहा था कि बीएचयू ऐसा विश्वविद्यालय है, जहां एक ही परिसर में सारे विषयों की पढ़ाई होती है.
बाबा विश्वनाथ का किया था दर्शन, गंगा आरती में भी रहे
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह बतौर प्रधानमंत्री बनारस आए थे. 2008 में बनारस दौरे पर आए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने सपरिवार बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए थे. साथ ही गंगा आरती में शामिल हुए थे. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह सौम्यता, सरलता और सहजता की मिसाल थे. उनके जाने से राजनीतिक जगत को अपूरणीय क्षति हुई है. उन्होंने दस साल में देश की सूरत बदल दी थी. आर्थिक मंदी के दौर में भी भारत मजबूती के साथ खड़ा रहा, यह उनकी ही सोच और नीतियों का परिणाम था. दिवंगत आत्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि, परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदनाएं.
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डॉ. मनमोहन का जाना दुखद
महानगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री व भारत में आर्थिक सुधारों के पुरोधा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन की खबर से मन व्यथित है. उनका जाना बहुत ही दुखद है. डॉ. मनमोहन सिंह का स्नेह हमें भी प्राप्त हुआ था, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. सन 2008 में उस वक्त जब वह सपरिवार काशी आए थे, उस समय हम युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष थे. उनका स्नेह गंगा आरती के दौरान प्राप्त हुआ था.