UP निकाय चुनाव : स्थानीय दिक्कतों को लगी इन बड़े मुद्दों की नजर
पहली बार करीब महीने भर में उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव तीन चरणों के मतदान के साथ शुक्रवार मतगणना होते ही समाप्त होने जा रहा है। पूरे चुनाव अभियान पर राजनीतिक दलों की कवायद पर गौर करें तो सत्तारूढ़ बीजेपी को छोड़कर किसी भी अन्य दल ने चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका नहीं निभाई।
इतना ही नहीं गली-मोहल्लों की सरकार के लिए उनसे जुड़े मुद्दे भी पूरी तरह नदारद ही दिखे. ज्यादातर मुद्दे और केंद्र और राज्य स्तरीय ही रहे। इनमें जहां विपक्ष का सबसे ज्यादा जोर नोटबंदी, जीएसटी और कानून व्यवस्था पर रहा, वहीं बीजेपी ने विकास और 8 महीने के कामकाज का लेखा जोखा बताकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की। इसके अलावा अयोध्या में राम मंदिर बनाने को लेकर भी रस्साकसी चर्चा में रही।
नोटबंदी और जीएसटी
विपक्ष खासकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी ने नगर निकाय चुनाव में नोटबंदी और जीएसटी को अपना प्रमुख हथियार बनाया। दोनों ही पार्टियों का कहना था कि सरकार के इस फैसले से व्यापारी वर्ग के साथ ही गरीबों की कमर टूट गई है। देश और प्रदेश पिछड़ गया है।
इस दौरान कांग्रेस ने जीएसटी को लेकर टैक्स स्लैब और तमाम बदलावों को जनता के सामने पेश कर समर्थन जुटाने की कोशिश की। वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव ने लगातार बयान जारी करते हुए नोटबंदी और जीएसटी को पूरी फेल बताया। उन्होंने विधानसभा चुनावों की तरह फिर से खजांची का मुद्दा भी उठाया।
इस मुद्दे का असर ये रहा है कि सभी पार्टियों से टिकट हासिल करने वालों में व्यापारी वर्ग की अच्छी खासी तादाद रही। वहीं बीजेपी ने नोटबंदी और जीएसटी को मुद्दा ही मानने से इंकार किया। पार्टी का कहना था कि नोटबंदी के बाद हम यूपी में प्रचंड बहुमत के साथ जीते हैं।
नकली विकास बनाम असली विकास
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नगर निकाय चुनाव में 40 से अधिक जनसभाओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने विकास के मुद्दे को प्रमुख हथियार बनाया। उनका कहना था केंद्र और राज्य में हमारी सरकार है, अब मोहल्लों में भी हमारी सरकार बनने से विकास की रफ्तार और तेज होगी।
योगी का कहना था कि नगर निगम में बीजेपी अच्छा प्रदर्शन करती रही है लेकिन नगर पंचायत और नगर पालिकाओं में बहुमत नहीं मिलने से विकास के तमाम जरूरी कार्य रुक जाते हैं।
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वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव भी विकास को लेकर पार्टी को श्रेय देते नजर आए. उनका सबसे प्रमुख आरोप यही रहा कि योगी सरकार सपा द्वारा किए गए कामों का ही बस उद्घाटन कर रही है. पिछले 8 महीने में बीजेपी सरकार ने अपना कोई काम नहीं करके दिखाया है।
खराब कानून व्यवस्था का एनकाउंटर से जवाब
विपक्ष ने जहां यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए, वहीं हर जनसभा में सीएम योगी लगातार विपक्ष के इन आरोपों का जवाब देते नजर आए। योगी का कहना था कि आज अपराधी या तो जेल में हैं या प्रदेश छोड़कर भाग रहे हैं। बीजेपी के राज में यूपी पुलिस ताबड़तोड़ एनकाउंटर कर रही है। अब प्रदेश में अपराधियों की जगह या तो जेल है या यमराज का घर।
भर्ती की घोषणा से युवाओं को लुभाने की कोशिश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी हर जनसभा में कहा कि सरकार दिसंबर से यूपी में बंपर भर्ती करने जा रही है। यही नहीं प्रदेश में 10 लाख प्राइवेट नौकरियों को भी देने की कोशिश सरकार कर रही है। इस दौरान सीएम ने प्रदेश में निवेश बढ़ाने की सरकार की कोशिशों पर भी खासा जोर दिया। वहीं विपक्ष की तरफ से इस मुद्दे पर ज्यादा तवज्जो नहीं मिली।
राम मंदिर और मूर्तियों पर घमासान
निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही योगी सरकार ने अयोध्या में दिव्य दीपोत्सव मनाकर साफ संकेत दे दिया था कि राम मंदिर का मुद्दा धीरे-धीरे गर्माएगा। इसकी बानगी गोरखपुर में योगी के उस बयान में देखने को मिली, कि अयोध्या में दीपावली मनाई है, मथुरा में होली मनाएंगे।
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इस बीच राम मंदिर के मसले पर मध्यस्थता की कवायद श्रीश्री रविशंकर की तरफ से शुरू कर दी गई और मामला गर्म हो गया यही नहीं शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में समझौते का मसौदा भी पेश कर दिया। मामले में दोनों पक्षों के साथ ही तमाम नेताओं के बयानबाजियों का दौर शुरू हुआ और निकाय चुनाव में प्रचार जारी रहा।
इस दौरान योगी सरकार द्वारा अयोध्या में 100 फीट ऊंची भगवान राम की मूर्ति के प्रस्ताव पर हल्ला मचने लगा। फिर सैफई में पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार द्वारा जारी की गई श्रीकृष्ण की कई फिट ऊंची मूर्ति चर्चा में आ गई। जिसके बाद आरोप प्रत्यारोप के दौर शुरू हो गए।
(साभार- न्यूज 18)