भारत में चावल को लेकर बड़ी खबर आई है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक चालू खरीफ सीजन में पिछले साल की समान अवधि में 3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. खास बात यह है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. जिसके कारण वैश्विक स्तर पर चावल की कीमत बढ़ रही है. अमेरिका की दुकानों के बाहर चावल लेने के लिए लंबी कतारें लग गई हैं. वहीं दूसरी ओर दालों को लेकर कुछ निराशाजनक खबरें देखने को मिली हैं. पिछले साल की समान अवधि में दालों का रकबा 10 फीसदी कम हुआ है. जिसका असर उत्पादन पर देखने को मिल सकता है और दालों की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
चावल का रकबा बढ़ा, दाल का रकबा घटा…
चालू खरीफ सीजन में 21 जुलाई तक धान का रकबा तीन फीसदी बढ़कर 180.2 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि दलहन का रकबा 10 फीसदी घटकर 85.85 लाख हेक्टेयर हो गया है. कृषि मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. पिछले साल इसी अवधि में धान का रकबा 175.47 लाख हेक्टेयर और दालों का रकबा 95.22 लाख हेक्टेयर था. धान मुख्य ख़रीफ़ फसल है, जिसकी बुआई आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून के साथ शुरू होती है. देश के कुल चावल उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत ख़रीफ़ सीज़न से आता है. आंकड़ों के मुताबिक, श्री अन्ना या मोटे अनाज का रकबा 21 जुलाई तक बढ़कर 134.91 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में 128.75 लाख हेक्टेयर था.
तिल एवं मूँगफली की स्थिति…
गैर-खाद्य श्रेणी में तिलहनों का रकबा बढ़कर 160.41 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में 155.29 लाख हेक्टेयर था. मूंगफली का रकबा 34.56 लाख हेक्टेयर से थोड़ा बढ़कर 34.94 लाख हेक्टेयर हो गया है. वहीं सोयाबीन का रकबा 111.31 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 114.48 लाख हेक्टेयर हो गया है. मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कपास का रकबा 109.99 लाख हेक्टेयर से मामूली गिरावट के साथ 109.69 लाख हेक्टेयर रह गया. गन्ने का रकबा 53.34 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 56 लाख हेक्टेयर रहा.
खरीफ के कुल क्षेत्रफल में वृद्धि…
सभी प्रमुख खरीफ फसलों का कुल रकबा शुक्रवार (21 जुलाई) तक बढ़कर 733.42 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 724.99 लाख हेक्टेयर था. दक्षिण-पश्चिम मानसून ने भारत में केरल के तट पर आठ जून को दस्तक दी थी, जबकि इसकी सामान्य तारीख एक जून है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने पहले कहा था कि अल नीनो की स्थिति बनने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है.
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