…तो बांग्लादेश में बैन हो जाएगा इस्कॉन संगठन !

0

पड़ोसी देश बांग्लादेश इस समय गंभीर राजनीतिक और धार्मिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है. हाल ही में हिंदू समुदाय पर हमलों और इस्कॉन के धार्मिक गुरु चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद अब बांग्लादेश सरकार इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है. इस संबंध में बांग्लादेश के हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है.

बांग्लादेश सरकार ने इस्कॉन को एक धार्मिक कट्टरपंथी संगठन घोषित कर दिया है, इस मामले में बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में कहा कि, यह सरकार का प्रमुख एजेंडा है और इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जा चुके हैं. अटॉर्नी जनरल ने बताया कि, सरकार जल्द ही इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है. इसके जवाब में कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से इस्कॉन पर सरकार के रुख और देश की वर्तमान स्थिति का विवरण प्रस्तुत करने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने सरकार को यह निर्देश दिया कि, वह इस मामले में सतर्क रहे ताकि देश में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़े नहीं.

इससे पहले भी उठ चुकी है इस्कॉन बैन करने की मांग

हाईकोर्ट की जस्टिस फराह महबूब और जस्टिस देबाशीष रॉय की पीठ ने इस मामले में कहा कि, इससे पहले एक वकील ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने के लिए याचिका दायर की थी, जिसमें चटगांव में वकील सैफुल आलम की हत्या सहित कई घटनाओं का हवाला दिया गया था. इस पर कोर्ट ने सरकार से पूछा कि इस्कॉन क्या है, यह कहां से आया और इसके उद्देश्य क्या हैं? इस पर अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया कि, इस्कॉन कोई राजनीतिक दल नहीं, बल्कि एक धार्मिक कट्टरपंथी संगठन है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि, कुछ दिन पहले उन्होंने बांग्लादेश के संविधान से ‘धर्मनिरपेक्षता’ शब्द को हटाने की भी मांग की थी.

Also Read: बांग्लादेश में इस्कॉन के चिन्मय दास गिरफ्तार, हिन्दू धर्म के लोगों ने मचाया बवाल…

क्या है पूरा मामला ?

इस बीच, 25 नवंबर को बांग्लादेश की लॉ इंफोर्समेंट एजेंसी ने चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था. बांग्लादेश की अदालत ने मंगलवार को उन्हें जमानत देने से मना कर दिया और जेल भेज दिया. चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन करने लगे. इस दौरान सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में पत्रकारों सहित कम से कम 10 लोग घायल हो गए. इस घटनाक्रम ने बांग्लादेश में धार्मिक तनाव और बढ़ा दिया है और अब सरकार के लिए इस स्थिति को संभालना चुनौतीपूर्ण हो गया है.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More