पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले खाली करने का नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले खाली करने के फैसले के बाद आज नोटिस (notice) भेज दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के बाद राज्य संपत्ति विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले खाली करने के लिए नोटिस भी भेज दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अखिलेश सरकार के बनाये हुए कानून को खारिज करते हुए ये बंगले खाली करने का फैसला सुनाया था।
बंगलों में जीवनभर रहने का अधिकार मिला हुआ था
अब नारायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव को अपने बंगले छोडऩे पड़ेंगे। इन्हें इन बंगलों में जीवनभर रहने का अधिकार मिला हुआ था। राज्य संपत्ति अधिकारी योगेश कुमार शुक्ल ने बताया कि सभी को नोटिस दे दी गई है। कल्याण सिंह इस समय राजस्थान के राज्यपाल हैं, जबकि राजनाथ सिंह केंद्रीय गृहमंत्री हैं। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने अखिलेश सरकार के बनाये कानून को खारिज करते हुए स्पष्ट कहा था कि ‘कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद आम नागरिक हो जाता है।
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उन्हें पिछले सरकारी पद के आधार पर सरकारी संपत्ति की सुविधा देना नागरिकों की अलग श्रेणी बनाने जैसा है। सरकारी संपत्ति देश के नागरिकों की है।अखिलेश सरकार ने पद से रिटायर होने या पद छोडऩे के बाद भी ताउम्र बंगले की सुविधा बनी रहने का कानून बनाया था। जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को उम्रभर के लिए बंगले देने का प्रावधान मनमाना था।
मुख्यमंत्रियों को बंगले देने की परंपरा कानूनी दृष्टि से गलत है
ध्यान रहे, सेवानिवृत्त अफसरों की संस्था ‘लोक प्रहरी ने ‘उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ते और विविध प्रावधान) कानून 1981 में संशोधन को चुनौती दी थी।सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में यह पहला आदेश नहीं है। इससे पहले एक अगस्त, 2016 को भी अदालत ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले देने की परंपरा कानूनी दृष्टि से गलत है।
कानून में संशोधन कर बंगले देने की व्यवस्था जारी रखी थी
उन्हें दो माह में ये बंगले खाली कर शासन को सौंप देने चाहिए। इस आदेश को दरकिनार करने के लिए ही अखिलेश सरकार ने उक्त कानून में संशोधन कर बंगले देने की व्यवस्था जारी रखी थी।पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने उनके सरकारी आवास पर गए थे। अपना घर बचाने के लिए यादव एक फार्मूला लेकर मुख्यमंत्री के पास गए थे लेकिन, इस मुलाकात के अगले ही दिन एक्शन हो गया। मुलायम की ओर से योगी को दिए गये किसी भी तरह के पत्र की कोई कॉपी गुरुवार तक राज्य संपत्ति विभाग नहीं पहुंची थी।
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