24 घंटे के कहर की कहानी, कहा हुई कितनी बारिश, टूटे सरे रिकॉर्ड

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उत्तर भारत के कुछ राज्यों में पिछले दो दिनों में प्रकृति का रौद्र रूप देखने को मिला है. हिमाचल प्रदेश से लेकर राजस्थान तक बारिश ने ऐसा कहर बरपाया है कि हर कोई हैरान है. हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में तो बरसात एक त्रासदी के रूप में आई है, जिसकी वजह से हर ओर तबाही मची है. मौसम का यह विकराल रूप कितना भयावह रहा है, इसकी गवाही मौसम विभाग के आंकड़े भी देते हैं. सिर्फ एक दिन का ही रिकॉर्ड देखें तो कुछ जगह पर सामान्य से 1000 फीसदी से अधिक बारिश दर्ज की गई है. हम यहां यह समझने की कोशिश करेंगे कि उत्तर भारत में बारिश ने किस तरह अपना असर दिखाया है.

बारिश से उत्तर भारत बेहाल

9 और 10 जुलाई का दिन हर किसी को याद रहेगा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश. उत्तर भारत का कोई ऐसा इलाका नहीं था जहां बारिश की वजह से बुरा हाल ना हुआ है. पहाड़ी इलाकों में नदियों ने रौद्र रूप लिया, पहाड़ से मलबा गिरा और कई जगह रास्ते बंद हो गए, पुल टूट गए इतना ही नहीं मकान के मकान ढह गए. हालात ये हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री ही इस बरसात को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रहे हैं.

सिर्फ पहाड़ ही नहीं मैदानी इलाके भी इस बारिश की वजह से परेशान हैं. दिल्ली, चंडीगढ़, अंबाला समेत बड़े शहरों में बारिश की वजह से कई इलाके तालाब बन गए. दिल्ली में जगह-जगह बारिश की वजह से पानी भरा रहा, चंडीगढ़-अंबाला में भी गाड़ियों सड़कों पर तैरती नज़र आईं. बारिश ने किस तरह कहर बरपाया है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्तर भारत में अभी तक करीब 40 लोग इस वजह से जान गंवा चुके हैं.

कहां हो रही है बारिश, कहां टूटा रिकॉर्ड?

मौसम विभाग का आंकड़ा देखें तो बारिश का सबसे रौद्र रूप 9 से 10 जुलाई के दरमियान रहा. इस दौरान हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात में सामान्य से काफी अधिक बारिश हुई. जबकि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी सामान्य से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई.

इनमें हैरान करने वाला आंकड़ा हिमाचल प्रदेश का है, 24 घंटे के भीतर यहां 92.4 MM बारिश रिकॉर्ड की गई. ये सामान्य अनुमान से करीब 1013 फीसदी अधिक बारिश रही. पंजाब में भी ये आंकड़ा 371 फीसदी तक गया, जबकि हरियाणा में 540 फीसदी ज्यादा गया.

अगर राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां 5.2 मिमी बारिश का अनुमान था, यहां 34.3 मिमी बारिश दर्ज की गई. राजस्थान में 305 फीसदी अधिक कुल 16.6 मिमी, गुजरात में 8 मिमी के मुकाबले 30 मिमी बारिश हुई. ये सभी राज्य ऐसे हैं, जहां बारिश उम्मीद से कहीं ज्यादा हुई है यही कारण है कि मैदान में जहां जलनिकासी मुश्किल बनी, तो वहीं पहाड़ी इलाकों में पूरा सिस्टम ही चौपट हो गया.

यहां उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड ऐसे राज्य हैं जहां नॉर्मल से कुछ बेहतर बारिश रही है. यूपी में 11.5 मिमी, मध्य प्रदेश में 13.4 मिमी और उत्तराखंड में 19.9 मिमी बारिश हुई है. यूपी में गाजियाबाद, नोएडा जैसे कुछ शहर रहे जहां भारी बारिश की वजह से जगह-जगह पानी भरने की घटनाएं सामने आईं. उत्तराखंड के भी कुछ हिस्सों में ऐसे ही मामले देखे गए हैं.

हिमाचल प्रदेश के आंकड़े डराते हैं

सोशल मीडिया पर सबसे भयावह तस्वीर हिमाचल प्रदेश की दिखी है, कुल्लू से लेकर मंडी और सोलन तक हर जगह पहाड़ दरके हैं. कहीं पर सड़कें टूट गई हैं, नेशनल हाइवे बंद हो गए हैं जबकि दशकों पुराने पुल भी टूटे हैं. हिमाचल प्रदेश में ही एक दर्जन से अधिक मौत दर्ज की गई हैं. मौसम विभाग के आंकड़े भी इस पहाड़ी राज्य के हाल को बयां करते हैं.

 

यहां सबसे बुरा हाल लाहौल-स्पीति जिले का रहा, जहां सामान्य से करीब 1778 फीसदी बारिश हुई. कुल्लू जिले में कुल 95 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई. मंडी में 88 मिमी, सोलान में 138 मिमी, सिरमौर में 156 मिमी, हमीरपुर में 99 मिमी बारिश हुई है. बता दें कि ये आंकड़ा सिर्फ 24 घंटे का है, जो भयावह तस्वीर बताता है.

ये इलाके बारिश के लिए तरसते हैं

उत्तर भारत के आधा दर्जन से अधिक राज्यों में बारिश एक आसमानी आफत बनकर बरसी है. लेकिन मौसम का कमाल देखिए कि देश के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं, जहां मॉनसून होने के बावजूद सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है या ये भी कहा जा सकता है कि ये राज्य बरसात के लिए तरस रहे हैं. इनमें जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र जैसे राज्य हैं जबकि नॉर्थ ईस्ट के भी कुछ राज्य इसमें शामिल हैं.

जम्मू-कश्मीर में इस दौरान सिर्फ 3 मिमी बारिश हुई जो सामान्य से 55 फीसदी कम रही, महाराष्ट्र में सिर्फ 5.9 फीसदी बारिश रही जो 43 फीसदी कम थी. कर्नाटक में 52 फीसदी कम, गोवा में 33 फीसदी कम, पश्चिम बंगाल में 55 फीसदी कम बरसात हुई है. कमाल की बात ये है कि जिस राज्य में अक्सर बरसात होती रहती है यानी मेघालय वहां भी इस दौरान 53 फीसदी कम बारिश हुई है, यहां सिर्फ 19 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है.

आख़िर इतनी बारिश का कारण क्या है?

ये मॉनसून का वक्त चल रहा है, ऐसे में हर किसी को बारिश होने की उम्मीद तो थी लेकिन क्या ये मॉनसून वाली सामान्य बरसात ही है? ये सवाल हर किसी के मन में है, मौसम एक्सपर्ट्स की मानें तो मामला इससे कहीं ज्यादा आगे है. दरअसल, इस वक्त पहाड़ों पर पश्चिम विक्षोभ (Western Disturbance)का असर देखने को मिल रहा है, इसके साथ ही मॉनसून ट्रफ भी काफी एक्टिव है.

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान जैसे इलाकों में मॉनसून ट्रफ होने की वजह से भरपूर बारिश हो रही है जबकि पहाड़ी इलाकों में पश्चिमी विक्षोभ का असर है. आसान भाषा में समझें तो ये एक ऐसा तूफान है जो पश्चिमी इलाके से उठता है और मॉनसून के वक्त इसके उठने से बारिश का कहर देखने को मिल रहा है. तभी अचानक इतनी बरसात हो जाने से पहाड़ से लेकर मैदानी इलाके में पूरा सिस्टम चौपट होता दिखा है.

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