भारत ने एसडीजी में महत्वपूर्ण प्रगति की हैं
देश की स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा (वीएनआर) की ओर से इस वर्ष की शुरुआत में सौंपी गई रपट से पता चला है कि भारत ने वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों द्वारा अपनाए गए 17 सतत विकास लक्ष्यों(एसडीजीएस) में महत्वपूर्ण प्रगति कर ली है, लेकिन वित्तीय समस्या अभी भी बनी हुई है।
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विकासशील देशों को पर्यावरण फंडिंग समेत अन्य वित्तीय स्रोतों की ओर ध्यान देना चाहिए
भारत ने कहा है कि घरेलू संसाधनों को जुटाने की दिशा में काफी प्रयास करने के बावजूद एसडीजीएस के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त मात्रा में धन जुटाना संभव नहीं है। एसडीजी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए धन की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण कारक है। इस परिप्रेक्ष्य में एसडीजी के बीच गतिशील संबंधों का लाभ उठाकर, विकासशील देशों को पर्यावरण फंडिंग समेत अन्य वित्तीय स्रोतों की ओर ध्यान देना चाहिए।
बांग्लादेश को एसडीजी को पूरी तरह लागू करने के लिए 70 लाख करोड़ रुपये की जरूरत
बांग्लादेश और नेपाल में की गई वीएनआरएस की समीक्षा के बाद पता चला है कि इन देशों ने भी एसडीजी के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन वहां भी इस संबंध में वित्तीय समस्या बनी हुई है। बांग्लादेश को एसडीजी को पूरी तरह लागू करने के लिए 70 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है और नेपाल ने इस बैठक में वित्तीय मजबूरी को लेकर अपनी सीमाओं को बता दिया था।
विदेशी विकास सहायता(ओडीए) समेत अनुदान, ऋण और तकनीकी सहायता में वर्ष 1999-2000 के 85.7 प्रतिशत के मुकाबले 2014-15 में 55.4 प्रतिशत की कमी आ गई, जिससे इसका योगदान केवल 2.6 प्रतिशत रहा।एसडीजी की प्रकृति ऐसी है कि किसी एक लक्ष्य में प्रगति से सारे लक्ष्यों में भी प्रगति अपने आप हो जाती है।
सभी आयु वर्ग के कल्याण के लिए काम करना‘ से जुड़े हैं
उदाहरण के तौर पर, सतत विकास लक्ष्य के अंतर्गत दूसरे लक्ष्य, ‘भूख को समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य को हासिल करना व पोषण को बढ़ाना और सतत कृषि को प्रोत्साहन’ सीधे तौर पर एसडीजी के तीसरे लक्ष्य ‘स्वस्थ्य जीवन को सुनिश्चित करना और सभी आयु वर्ग के कल्याण के लिए काम करना’ से जुड़े हैं। इसलिए विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कंवेंशन(यूएनएफसीसीसी) के माध्यम से वैश्विक पर्यावरण सुविधा(जीईएफ), अनुकूलन फंड(एएफ) और नवीनतम ग्रीन क्लाइमेट फंड(जीईएफ) के तहत विकासशील देशों को कुछ सहायता देनी चाहिए।
परिवर्तन से निपटने के उपायों के लिए एसडीजी के साथ सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है
जुलाई 2017 में, भारत ने बहुपक्षीय जलवायु परिवर्तन फंडिंग और पूरी परियोजना की निगरानी के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक(नाबार्ड) को ‘राष्ट्रीय कार्यान्वयन संस्था’ के तौर पर नामित किया है।फंडिंग के लिए पारंपरिक एजेंसियों से हटकर और कार्रवाई रिसर्च संगठनों को अपनाकर भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों के लिए एसडीजी के साथ सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है।
नाबार्ड ने वैश्विक कार्बन फंड की सहायता से परियोजना के अंतर्गत ओडिशा के जनजातीय क्षेत्र में 3.163 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। इन सभी पहल से ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी आएगी और इससे एसडीजी के कई लक्ष्यों को प्राप्त करने में आसानी होगी।
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