कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की मुश्किलें बढ़ी
सिख विरोधी दंगों में दोषी सज्जन कुमार ने इस्तीफा दे दिया है। सिख विरोधी दंगों में दोषी करार दिए जाने के बाद मिली उम्रकैद की सजा के बाद भी सज्जन कुमार की मुश्किलें अभी कम नहीं हुई हैं। एसआईटी 3 और महत्वपूर्ण मामलों में कुमार के खिलाफ जांच कर रही है।
सज्जन पर दर्ज तीन मामलों में हत्या, हत्या की कोशिश और दंगे भड़काने व 3 पुलिस स्टेशनों- जनकपुरी, विकासपुरी और सरस्वती विहार को जलाने जैसे आरोप हैं। इन मामलों में एसआईटी जांच अंतिम चरण में है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पेशल जांच टीम का गठन किया है।
सज्जन कुमार से अब तक 5 बार लंबी पूछताछ की है
बता दें कि सिख दंगों में दोषी ठहराए जाने के बाद सज्जन कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सूत्रों का कहना है कि एसआईटी ने इन तीनों केस में सज्जन कुमार से अब तक 5 बार लंबी पूछताछ की है। पिछले 3 सालों के दौरान यह पूछताछ हुई है।
चार्जशीट फाइल करने से पहले कुछ गवाह, जो इस वक्त अमेरिका में रह रहे हैं, उनसे भी सवाल-जवाब होंगे। एसआईटी के लिए इस वक्त सबसे मुश्किल काम गवाहों के बयान और मौजूद सबूतों के आधार पर जनकपुरी और विकासपुरी में हुईं घटनाओं के तार सिलसिलेवार जोड़ना है।
Also Read : आउटर रिंग रोड का निरीक्षण करेंगे गृहमंत्री राजनाथ सिंह
एक एफआईआर के अनुसार, सज्जन कुमार ने करीब 50 लोगों की भीड़ के साथ विकासपुरी गुरुद्वारे केआसपास के घरों में लूटपाट की थी। 1 नवंबर 1984 को सज्जन और उनके साथी घरों में लूटपाट के बाद गुरुद्वारे में घुस गए थे। गुरुद्वारे में इस भीड़ ने कैश बॉक्स लूटा। एफआईआर में जिक्र किया गया है कि आरोपी कुमार एक कार में सवार थे और उन्होंने एक घर की तरफ समर्थकों को इशारा किया। सूत्रों के अनुसार, एफआईआर में जिक्र है कि सज्जन के इशारे के बाद भीड़ उस घर में घुस गई और जमकर लूटपाट की और कुछ लोगों को बेरहमी से पीटा गया।
कांग्रेस दफ्तर के बाहर उन्हें बेरहमी से पीटा
एक दूसरी शिकायत में जिक्र है कि एक दिन पहले दंगे में घायल हुए लोगों को जब रिक्शे से अस्पताल ले जाया जा रहा था, तब भी जनकपुरी कांग्रेस दफ्तर के बाहर उन्हें बेरहमी से पीटा गया। इस घटना में दो लोगों की तत्काल मौत हो गई। सरस्वती विहार केस में कुछ गवाहों के बयान बदलने के कारण जांच अभी आगे नहीं बढ़ पाई है।
विकासपुरी और जनकपुरी में गवाहों के बयान और मेडिकल रिपोर्ट की जांच की गई है। इसके साथ ही एक ही शख्स के द्वारा की गई कई शिकायतों को मिलाकर एक एफआईआर तैयार की जा रही है, ताकि केसों की संख्या कम हो सके।
जगदीश टाइटलर के खिलाफ 3 केस में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। सीबीआई ने इसके बाद टाइटलर, कुमार और अभिषेक वर्मा के लाइ डिटेक्टर टेस्ट की मांग की थी, जिसमें अभी तक सिर्फ वर्मा ने ही यह टेस्ट करवाया है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)