सुप्रीम कोर्ट के बाद राजपक्षे को संसद से भी झटका

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राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेन और उनके नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को देश की सुप्रीम कोर्ट के बाद संसद में भी बड़ा झटका लगा है। श्रीलंकाई संसद ने अपने ऐतिहासिक वोट में राजपक्षे सरकार के खिलाफ वोटिंग की गई है।

राष्ट्रपति सिरिसेन ने संसद को ही भंग कर दिया था

इससे पहले मंगलवार को श्रीलंका की सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेन के संसद को भंग करने के निर्णय को रद कर दिया था। सिरिसेन ने रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त करके महिंदा राजपक्षे को पीएम नियुक्त कर दिया था। इसके बाद विक्रमसिंघे ने संसद में बहुमत साबित करने का दावा किया था। संसद के स्पीकर सदन में बहुमत साबित करने के लिए विक्रमसिंघे को मौका देने को भी राजी हो गए थे, जिसके बाद राष्ट्रपति सिरिसेन ने संसद को ही भंग कर दिया था।

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संसद को भंग करने के उनके फैसले को मंगलवार को पलटते हुए शीर्ष अदालत ने इस पर सात दिसंबर तक रोक भी लगा दी है। साथ ही पांच जनवरी को होने वाले मध्यावधि चुनाव की तैयारियों को भी रोकने को कहा है। कोर्ट ने अंतिम निर्णय देने से पहले अगले महीने राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं पर विचार की बात भी कही है।

तीन सदस्यीय वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया है

उधर, कोर्ट का आदेश आने के बाद स्पीकर ने बुधवार को संसद की बैठक बुलाई। प्रधान न्यायाधीश नलिन परेरा की अगुआई वाली तीन सदस्यीय वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया है। पीठ ने निर्धारित अवधि से दो साल पहले संसद भंग करने के राष्ट्रपति के नौ नवंबर के फैसले के खिलाफ दायर 13 याचिकाओं और सिरिसेन का समर्थन करने वाली पांच याचिकाओं की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। साभार

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