एक मात्र देश जो बनाता है दुनिया की सबसे ज्यादा करेंसी, जानें कैसे प्रिंटिंग से बढ़ रही इसकी ताकत

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दुनियाभर में कई ऐसे देश है जो अपनी करेंसी दूसरे देशों से छपवाते हैं. करेंसी प्रिंटिंग करने के मामले में चीन दुनिया की सबसे विशाल निकाय है. इस समय में चीन पूरी ताकत से कई मुल्क की मुद्रा छाप रहा है. वैसे तो चीन से अपनी करेंसी छपवाने वाले देशों की सूची काफी लंबी है. इसमें पोलैंड, नेपाल, श्रीलंका, बांग्‍लादेश समेत कई देश शामिल हैं. चीन का मकसद कई तरह के देशो की करेंसी छापकर वैश्विक अर्थववस्था में अपना दबदबा बढ़ने की कोशिश है. दूसरी तरफ इसे उसकी अच्छी कमाई हो रही है. जिसे उसकी अर्थववस्था मजबूत हो रही हैं. वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था पर उसका प्रभाव भी बढ़ रहा है.

CBPMC (चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन) के मुताबिक, इस साल सरकार की ओर से निर्धारित असामान्य रूप से बड़े करेंसी प्रिंटिंग ऑर्डर को पूरा करने के लिए चीन भर में मनी-प्रिंटिंग प्लांट पूरी क्षमता के करीब चल रहे हैं. काम इतना ज्‍यादा है कि कोई भी प्‍लांट अपनी क्षमता से कम प्रिंटिंग नहीं कर रहा है. करेंसी प्रिंटिंग के इस ऑर्डर में चीन की मुद्रा युआन का बहुत छोटा हिस्‍सा ही है. चीन को ज्‍यादातर ऑर्डर चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में भाग लेने वाले देशों की तरफ से आ रहे हैं.

वर्ष 2013 में हुई शुरुआत…

कुछ समय पहले तक चीन ने विदेशी मुद्रा बिल्कुल भी नहीं छापी थी, लेकिन 2013 में बीजिंग ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की शुरुआत की. ये निवेश और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के जरिये यूरोप, अफ्रीका व एशिया के करीब 60 देशों में आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने की योजना है. योजना की शुरुआत के दो साल बाद चीन ने नेपाल के लिए पैसा छापना शुरू कर दिया था. आज चीन की मनी प्रिंटिंग इंडस्‍ट्री के विदेशी ग्राहकों में थाईलैंड, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, ब्राजील और पोलैंड के साथ-साथ कई देश शामिल हैं.

अपनी मुद्रा कम क्यों छाप रहा चीन…

चीनी सरकार के अधीन बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन का मुख्यालय बीजिंग के ज़िचेंग जिले में है. 18,000 कर्मचारियों से साथ कागज के नोट व सिक्को की छपाई और 10 प्लांट्स के साथ अपने आप को दुनिया का सबसे बड़ा करेंसी प्रिंटिंग कंपनी बताती है. चीन की इस कंपनी के बराबर में अमेरिका की ब्यूरो ऑफ एनग्रेविंग एंड प्रिंटिंग कंपनी आती है. युआन की कम छपाई से यह संकेत मिलता है कि वहां के लोगों ने अब करेंसी या क्‍वाइन के बजाय अपने फोन का इस्तेमाल करने लगे है.

कैसे मनी प्रिंटिंग से बढ़ेगी चीन की ताकत…

बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हू जिंगडू ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को बताया कि एक देश को अपने बैंक नोटों की छपाई की अनुमति देने के लिए चीन की सरकार पर काफी भरोसा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि विश्व आर्थिक परिदृश्य कुछ बड़े बदलावों के दौर से गुजर रहा है. जैसे-जैसे चीन बड़ा और अधिक शक्तिशाली होता जाएगा, वह पश्चिम की मूल्य प्रणाली को चुनौती देगा. अन्य देशों के लिए पैसा छापना महत्वपूर्ण कदम है. मुद्रा किसी देश की संप्रभुता का प्रतीक है. यह व्यवसाय, विश्वास और मौद्रिक गठजोड़ बनाने में मदद करता है.

कैसे शक्तिशाली हथियार साबित होगा ये काम?

किसी भी देश की मुद्रा पर अगर किसी दूसरे देश की पकड़ हो जाए तो यह उस देश के लिए एक शक्तिशाली हथियार साबित हो सकता है. लीबिया के शासक मुअम्मर गद्दाफी के 7 साल पहले हुए पतन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने अपने देश की मनी प्रिंटर कंपनी डे ला रू की ओर से तानाशाह के लिए छापे गए 1.5 बिलियन डालर मूल्य के लीबियाई दीनार जब्त कर लिए थे. इससे लीबिया में करेंसी की कमी बढ़ गई और गद्दाफी शासन पर दबाव पड़ा. बीजिंग को चिंता है कि उसके दुश्मन उसकी अर्थव्यवस्था को बाधित करने के लिए नकली नोटों का इस्तेमाल कर सकते हैं. चीन पैसे छापने की अपनी क्षमता को अपने परमाणु बम कार्यक्रम के बराबर अहम मानता है.

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