राजस्थान व छत्तीसगढ़ की पुरानी पेंशन व्यवस्था पर लग सकता है ग्रहण !
छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के शासनकाल में बहाल की गई पुरानी पेंशन व्यवस्था पर अब खतरा मंडराने लगा है. बता दें कि विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है. देश में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर पहले ही केंद्र सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर चुकी है कि किसी भी हालत में देश में इसे लागू नहीं किया जाएगा. इस पर खुद प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी राय स्पष्ट कर दी है. जबकि एनपीएस में सुधार के लिए कमेटी के गठन की बात बताई जा रही है. कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद एनपीएस में कुछ बदलाव किया जा सकता है.
नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि संभावना है राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अब पुरानी पेंशन व्यवस्था खत्म हो सकती है. लेकिन उधर, पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल होने तक कर्मचारियों का आंदोलन जारी रहेगा.
देश में ओपीएस बड़ा मुद्दा
आपको बता दें कि राजस्थान सहित दूसरे प्रदेशों में चुनाव में OPS का मुद्दा काफी प्रभावी रहा है. अगर पोस्ट बैलेंट की मतगणना को देखें तो राजस्थान में 170 से अधिक सीटों पर कांग्रेस आगे थी. इसी तरह मध्य प्रदेश के चुनावी नतीजे का विश्लेषण किया जा रहा है. ऐसा नहीं है कि यूपीएससी चुनावी हार जीत का प्रमुख कारण है. अगर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन व्यवस्था को खत्म कर दिया जाता है तो उसके खिलाफ सरकारी कर्मचारी आवाज उठाएंगे. इस आंदोलन को देश के एक-एक कोने तक ले जा सकते हैं. वहीं जानकारी मिली है कि 10 दिसंबर को पुरानी पेंशन लागू करने के लिए सरकारीकर्मियों की एक बड़ी रैली पटना में आयोजित होगी.
मोदी ने OPS को बताया था शॉर्टकट पॉलिटिक्स
ओपीएस को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से कई बार बयान सामने आए. जिसमें कहा जा रहा है कि जो राज्य पुरानी पेंशन लागू कर रहे हैं वहां पर भविष्य में कितनी संकट उत्पन्न हो सकती है और राज्यों को विभिन्न मदों में प्रदान की जानेवाली आर्थिक सहायता को बंद किया जा सकता है. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी इस स्कीम को शॉर्टकट पॉलिटिक्स का नाम दे चुके हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को ऐसी घोषणाओं से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसी राजनीतिक देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर देगी.
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अनिश्चितकालीन हड़ताल के पक्ष में कर्मचारी
आपको बता दें की पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई अब अंतिम दौर की तरफ बढ़ रही है. अगर सरकार कर्मचारियों की इस मांग को नहीं मानती है तो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर कर्मचारी जा सकते हैं. यह भी बता दें कि कितने कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल के पक्ष में हैं यह पता लगाने के लिए केंद्र सरकार में दो बड़े विभाग रेलवे और रक्षा विभाग में स्ट्राइक ब्लू यानी मतदान कराया गया था. इसमें रेलवे के 11 लाख कर्मियों में से 96 प्रतिशत कर्मचारी ऑप्स (OPS) लागू न करने की स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए तैयार है इसके अलावा रक्षा विभाग के चार लाख कर्मियों में से 97 प्रतिशतकर्मी हड़ताल के पक्ष में हैं.
18 साल बाद कर्मियों को मिल रही इतनी पेंशन
एनपीएस में कर्मियों को जो पेंशन मिल रही है उतनी तो बुढ़ापा पेंशन ही है. कर्मचारियों ने कहा कि देश में सरकारी कर्मियों, पेंशनरों, उनके परिवारों और रिश्तेदारों को मिलाकर वह संख्या 10 करोड़ के पास है. अगर ऑप्स लागू नहीं होता है तो लोकसभा चुनाव में भाजपा को राजनीतिक नुकसान झेलना होगा.