मोदी कैबिनेट ने सोमवार को आर्थिक आधार पर आरक्षण का बड़ा दांव खेला है। 8 लाख से कम आय वर्ग के लोगों के लिए नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण की घोषणा की। इसके साथ ही अब भारत की लगभग पूरी आबादी आरक्षण के किसी न किसी दायरे में आ जाएगी। भारत में पहले से ही जाति आधारित आरक्षण की व्यवस्था है।
आबादी को आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा। आरक्षण का आधार रखा गया है पारिवारिक आमदनी 8 लाख से कम हो। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और एनएसएसओ की रिपोर्ट के आधार पर लगभग 95% आबादी अब इस दायरे में आ जाएगी।
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8 लाख रुपये के सालाना आमदनी का मतलब है कि अगर एक परिवार में 5 व्यक्ति हैं, तो प्रति व्यक्ति आय 13,000 से थोड़ी सी अधिक होगी। एनएसएसओ सर्वे 2011-12 के मुताबिक प्रति महीने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति आय 2,625 रुपये है और शहरी क्षेत्रों में यह 6,015 रुपये के करीब। आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण यदि लागू होता है तो अधिक आय वर्ग के ऊपर के सिर्फ 5 फीसदी परिवार ही इस दायरे से बाहर होंगे।
2016-17 में सिर्फ 23 मिलियन लोगों ने ही अपनी आय 4 लाख से अधिक घोषित की। अगर यह मान लिया जाए कि किसी भी परिवार में 2 कमानेवाले लोग हैं जिनकी आय 4 लाख से कम है, तब भी ऐसे 1 करोड़ परिवार 8 लाख से कम आय वर्ग के दायरे में आएगें। यह संख्या भारतीय आबादी का लगभग 4% है।
आंकड़ों के अनुसार ऐसे लोगों को गरीब नहीं कहा जा सकता
सरकार की तरफ से सोमवार को जारी किए गए आंकड़े के अनुसार प्रति व्यक्ति आय 1.25 लाख सालाना बताई गई है। इसका मतलब हुआ कि किसी परिवार में 5 लोग हैं तब भी यह आय 6.25 लाख सालाना ही होगी और ऐसे परिवारों को भी इस कैटिगरी में रिजर्वेशन का लाभ मिलेगा। इसका एक अर्थ यह भी है कि ऐसे परिवार जिनकी सालाना आय 8 लाख या उससे अधिक है, उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि उनकी आय राष्ट्रीय औसत से अधिक है। सीधे और आसान शब्दों में कहें तो सरकारी आंकड़ों के अनुसार ऐसे लोगों को गरीब नहीं कहा जा सकता।
आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कवर होनेवाला है
आरक्षण के लिए जमीन के मालिकाना हक के लिए जो आधार तय किया गया है, वह भी काफी विस्तृत है। कृषि जनगणना आंकड़े 2015-16 के अनुसार, भारत में जमीनों के मालि 86.2% मालिक 2 हैक्टेयर साइज से भी कम जमीन के मालिक हैं, जो 5 एकड़ से कम ही है। इस आधार के कारण भी आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कवर होनेवाला है।
आरक्षण के नए प्रावधान में लाभार्थी ऐसे लोग हो सकते हैं जिनके पास अपना घर हो, लेकिन उसका आकार 1.000 स्कवॉयर फीट से कम होना चाहिए। एनएसएसओ रिपोर्ट 2012 के अनुसार, धनी मानी जानेवाली 20% आबादी के घर का साइज 45.99 स्कवॉयर मीटर से कम है। इसका मतलब है कि 500 स्कवॉयर फीट से भी छोटे घरों में भारत की बहुसंख्यक आबादी रह रही है। अनुमान के तौर पर इस आधार पर भारत की 80 से 90% आबादी को इस आधार पर लाभ मिल सकने की गुंजाइश है।
ओबीसी आबादी 40-50% के करीब मानी जाती है
आसान शब्दों में कहा जाए तो कोटा का अगर मोदी कैबिनेट इस बिल को पास कराने में सफल रही तो भारत की 95% के करीब आबादी को आरक्षण का लाभ मिलेगा। एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण के दायरे में नहीं आनेवाली एक बहुत बड़ी आबादी को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा।
एससी-एसटी आबादी 23% के करीब है और ओबीसी आबादी 40-50% के करीब मानी जाती है, हालांकि ओबीसी आबादी का कोई आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं है। जाति आधारित आरक्षण में 27 से 37% आबादी है जिसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। नए कोटा बिल के बाद जमीनी स्तर पर क्या बदलाव होंगे, इसे लेकर फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता है।
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