पुणे हिंसा की आग महाराष्ट्र के दूसरे इलाकों में भड़की, तोड़फोड़-आगजनी
पुणे में दो समुदायों के बीच हुई जातीय हिंसा का असर महाराष्ट्र के अन्य इलाकों में भी देखा जा रहा है। मंगलवार को मुंबई के अलावा, हड़पसर व फुरसुंगी में बसों पर पथराव किया गया। इसके बाद औरंगाबाद और अहमदनगर के लिए बस सेवा निरस्त कर दी गई है। बता दें कि नए साल के मौके पर पुणे के कोरेगांव भीमा गांव में शौर्य दिवस मनाया गया था जिसके बाद से दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी। इस दौरान एक शख्स की मौत भी हो गई।
जातीय हिंसा सरकार को बदनाम करने की साजिश’
पुणे की जातीय हिंसा पर महाराष्ट्र सीएम ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह सरकार को बदनाम करने की साजिश है। सरकार ने इसके न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। सीएम देवेंद्र फडनवीस ने मृतक के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा देने की घोषणा भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सरकार को बदनाम करने की साजिश है और साथ ही अफवाहों पर ध्यान न देने की सभी से अपील की।
also read : गिरिराज : ये मोदी की कूटनीतिक जीत है
पुणे की जातीय हिंसा की आग सोमवार को महाराष्ट्र के अन्य इलाकों में फैल गई। इस दौरान मुंबई के कुर्ला, मुलुंड, चेंबूर और ठाणे में सरकारी बसों पर पथराव और रास्ता रोको की घटनाएं सामने आईं। कई इलाकों में तनाव की
स्थिति कायम है। 200वां शौर्य दिवस मनाया जा रहा था
बता दें कि 1 जनवरी 1818 के दिन अंग्रेजों और पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच कोरेगांव भीमा में युद्ध हुआ था जिसमें पेशवा को अंग्रेजों से पटखनी मिली थी। इसमें कुछ संख्या में दलित भी शामिल थे। इस घटना के इस बार 200 साल पूरे होने पर सोमवार को कोरेगांव भीमा में कार्यक्रम का आयोजन हुआ और जश्न मनाया गया। सोमवार को रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) ने कोरेगांव भीमा युद्ध के 200 साल पूरे होने पर विशेष कार्यक्रम आयोजित कराया था, जहां महाराष्ट्र के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट, बीजेपी सांसद अमर साबले, डेप्युटी मेयर सिद्धार्थ डेंडे और अन्य नेता शामिल हुए।
also read : वीडियो अपलोड करने की धमकी देकर ब्लैकमेल किया जा रहा’: क्रिकेटर
कार्यक्रम की सूचना पाकर दूसरे समुदाय के लोग वहां पहुंचे और दोनों समुदायों के बीच पथराव हुआ। जगह-जगह गाड़ियों में तोड़-फोड़ व आगजनी की गई। इस घटना पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। शरद पवार का कहना है कि घटना के पीछे कौन लोग हैं इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने आगे यह भी कहा कि शौर्य दिवस के 200 साल पूरे होने पर अधिक लोगों को इकट्ठा होने की संभावना पहले से थी इसलिए प्रशासन को इस पर नजर रखनी चाहिए थी।
(nbt)
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)